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स्कूल मर्जर के विरोध पर सरकार पर बैकफुट Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। सरकारी स्कूलों के विलय के विरोध को देखते हुए सरकार बैकफुट पर आ गई है। अब एक किमी से ज्यादा दूरी वाले स्कूलों को मर्ज नहीं किया जाएगा। वहीं, ऐसे स्कूल जहां पर विद्यार्थियों की संख्या 50 से ज्यादा है उनका भी विलय नहीं होगा यूपी के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बृहस्पतिवार को ये दिया है।
नए स्कूल काफी दूर होने की शिकायत
प्रदेश भर में शिक्षक संगठन, विपक्षी दल और अभिभावक प्रदेश सरकार के स्कूलों के विलय के फैसले का विरोध कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी प्रदेश में स्कूल बचाओ और अभियान सपा साइकिल यात्रा निकाल रही है। अभिभावकों ने विलय के बाद नए स्कूल काफी दूर होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित होने की शिकायत की। इसे देखते हुए यह फैसला किया गया।
यूपी के पहले कई राज्यों में हो चुकी
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा कि यूपी कोई पहला राज्य नहीं है, जहां पर स्कूलों का विलय किया गया। इससे पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उड़ीसा में यह प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है। संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल और बच्चों के भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह निर्णय किया गया है।
इन राज्यों में अपनाई मर्जर नीति
उन्होंने बताया कि राजस्थान में 2014 में इस प्रक्रिया के तहत 20 हजार स्कूलों का विलय किया गया। मध्य प्रदेश में 2018 में पहले चरण में 36 हजार विद्यालयों को और लगभग 16 हजार समेकित परिसरों को निर्मित किया गया। उड़ीसा में 2018-19 में 1800 विद्यालयों को मर्ज किया किया जा चुका है। हिमाचल प्रदेश में भी 2022 व 2024 में चरणबद्ध तरीके से स्कूलों का विलय किया गया है।
आठ वर्षों में परिषदीय स्कूलों की स्थिति में सुधार
संदीप सिंह ने कहा कि प्रदेश में बीते आठ वर्षों में परिषदीय स्कूलों की स्थिति में काफी सुधार आया है। 2017 के बाद स्कूलों के हालात सुधारने के प्रयास किए गए जिसके परिणामस्वरूप आज प्रदेश के 96 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के लिए पीने का पानी, शौचालय और सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। सरकार ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि हर बच्चे को शिक्षा के अधिकार के तहत अच्छी शिक्षा मिले।
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Education | Sandeep Singh