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विज्ञान-आधारित जांच ही अब न्याय का आधार बनेगी : डीजीपी राजीव कृष्ण

लखनऊ के UPSIFS में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में डीजीपी ने कहा कि अब न्याय की निष्पक्षता के लिए विज्ञान-आधारित साक्ष्यों पर ही भरोसा किया जाएगा। प्रदेश में 12 फॉरेंसिक लैब, 1587 साइबर थाने और 75 मोबाइल फॉरेंसिक वैन काम कर रही हैं।

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Shishir Patel
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डीजीपी राजीव कृष्ण।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (UPSIFS) में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक शिखर सम्मेलन में डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा ज्ञान ही विकास का साधन है, और यदि ज्ञान में रुकावट आती है तो वह भविष्य में संघर्ष का कारण बनती है।

साइबर हेल्प डेस्क भी हर जिले में संचालित हो रही

डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि वर्ष 2017 तक उत्तर प्रदेश में फॉरेंसिक लैबों की संख्या मात्र 4 थी, जो अब 12 हो चुकी हैं और 6 का निर्माण जारी है। इसके अलावा 75 जिलों में मोबाइल फॉरेंसिक वैन उपलब्ध कराना एक बड़ा कदम है। डीजीपी ने बताया कि प्रदेश में अब तक 1587 साइबर थानों की स्थापना की जा चुकी है और साइबर हेल्प डेस्क भी हर जिले में संचालित हो रही हैं।

अब विज्ञान-आधारित साक्ष्यों पर आधारित जांच ही निष्पक्ष होगी 

कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने कहा कि अपराध की बदलती प्रकृति, खासकर साइबर अपराध, यह स्पष्ट कर रही है कि पारंपरिक विवेचना के साथ अब विज्ञान-आधारित साक्ष्यों पर आधारित जांच ही निष्पक्ष और प्रभावी हो सकती है। उन्होंने BNSS-2023 का उल्लेख करते हुए कहा कि अब 7 वर्ष से अधिक दंडनीय अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य का संकलन अनिवार्य हो गया है।डीजीपी ने यूपीएसआईएफएस को राज्य और देश के लिए विश्वस्तरीय शिक्षा और शोध का केंद्र बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी की दूरदृष्टि ने उत्तर प्रदेश को वैश्विक फॉरेंसिक मानचित्र पर स्थापित किया है।

डिजिटल आत्मनिर्भरता और एआई पर जोर

डीजीपी ने कहा कि भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि भारत अब विदेशी उत्पादों पर निर्भर न होकर अपने डिजिटल समाधान विकसित कर रहा है, जैसे कि माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के भारतीय विकल्प। उन्होंने स्थानीय भाषाओं में वॉयस-आधारित सेवाओं, एआई मॉडल्स और स्टार्टअप्स (सर्वा, ज्ञानी, सॉकेट आदि) की भूमिका को रेखांकित किया।

संस्थापक निदेशक डॉ. जी.के. गोस्वामी का दृष्टिकोण

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संस्थान के निदेशक डॉ. जी.के. गोस्वामी ने बताया कि यहाँ मेरिट-आधारित प्रवेश प्रणाली लागू है, जहाँ पिछले वर्ष प्रमुख पाठ्यक्रम की कट-ऑफ 92 प्रतिशत रही।उन्होंने कहा कि आने वाला समय डिजिटल फॉरेंसिक और डायग्नॉस्टिक्स का है, जहाँ “Forensic as a Service” मॉडल के जरिए न्याय-प्रक्रिया और जांच को वैश्विक स्तर पर नई दिशा दी जाएगी। कार्यक्रम में प्रोफेसर अमित कुमार, डॉ. एस.के. जैन, डॉ. अभिषेक सिंह, रूपा, डॉ. प्रवीण सिन्हा, शैलेश चीरपीटकर, डॉ. मिनाल माहेश्वरी, पवन शर्मा, रवि शर्मा, नरेंद्र नाथ, डॉ. जेपी पांडेय और अनुराग यादव सहित कई विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।

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