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प्रतीकात्मक Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। योगी सरकार साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए यूपी पुलिस विभाग के अधिकारियों को लगातार हाइटेक टेक्नोलॉजी के जरिये प्रशिक्षित कर रही है। इसी के तहत सीएम योगी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज की ओर से तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सेमिनार के दूसरे दिन मंगलवार को साइबर विशेषज्ञों द्वारा साइबर अपराध को रोकने के लिए मंथन किया। इस दौरान डार्क वेब के जरिये होने वाली अवैध गतिविधियों और क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित उपयोग पर चर्चा की गयी। इसका इस्तेमाल कर साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसाकर उन्हे अपना का शिकार बना रहे हैं।
हाईटेक टेक्नोलॉजी की मदद से डार्क वेब से होने वाले अपराधों पर लगायी जा सकती है लगाम
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सेमिनार में विशेषज्ञों ने साइबर अपराध, क्रिप्टोकरेंसी और नए तकनीकी खतरों पर चर्चा की। सेमिनार का संचालन कर्नल नीतीश भटनागर ने किया। सेमिनार में बताया गया कि किस तरह क्रिप्टोकरेंसी, जो पहले एक तकनीकी नवाचार था, अब डार्क वेब पर अवैध गतिविधियों का अहम हिस्सा बन चुका है। पैनेलिस्ट आमिर ने डार्क वेब पर होने वाले अपराधों को लेकर चिंताएं जताई। उन्होंने बताया कि डार्क वेब पर लोग न केवल हैक किए गए डेटा बेचते हैं, बल्कि मानव तस्करी और ड्रग ट्रैफिकिंग जैसे अपराध को भी अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत का नया डिजिटल डाटा संरक्षण कानून इन अपराधों पर लगाम लगाने में अहम भूमिका निभाएगा। पैनेलिस्ट विष्णु नारायण शर्मा ने बताया कि डार्क वेब पर अपराधों का पता लगाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि यह पूरी तरह से गुमनाम और विकेंद्रीकृत है। हालांकि कुछ हाईटेक टेक्नोलॉजी मदद से अपराधियों का पता लगाने में सफलता मिल सकती है।
साइबर अपराध को पूरी तरह रोसे कने के लिए वैश्विक सहयोग जरूरी : पवन कुमार
साइबर सेल के डीआईजी पवन कुमार ने बताया कि देश में कानून प्रवर्तन संस्थाएं साइबर अपराध के खिलाफ प्रभावी रूप से काम नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत साइबर अपराधी अब क्रिप्टो प्लेटफार्मों पर स्थानांतरित हो चुके हैं और इससे निपटने के लिए प्रदेश की योगी सरकार लगातार प्रभावी कदम उठा रही है। इसके अलावा विभिन्न विशेषज्ञों ने सेमिनार में एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकों पर भी चर्चा की। विशेषज्ञों ने माना कि एआई आने वाले समय में साइबर अपराधों को रोकने में मददगार साबित होगा। साथ ही वैश्विक अपराध पर काबू पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
डार्क वेब के जरिये इन अवैध गतिविधियों को दिया जा रहा अंजाम
डार्क वेब इंटरनेट का एक हिस्सा है, जो आमतौर पर सर्च इंजनों से छुपा होता है और केवल विशेष टूल्स जैसे टॉर ब्राउजर से ही एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर अनगिनत अवैध गतिविधियां होती हैं।
नशीली दवाओं का व्यापार : डार्क वेब पर ड्रग्स और नशीली पदार्थों की अवैध बिक्री होती है।
किडनैपिंग और मानव तस्करी : डार्क वेब का उपयोग मानव तस्करी और अवैध व्यापार के लिए किया जाता है।
डेटा चोरी : साइबर अपराधी उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी चुराकर उसे बेचते हैं।
किलर हायरिंग : हत्या की साजिशें और हिंसा को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां डार्क वेब पर पाई जाती हैं।
क्रिप्टोकरेंसी से बढ़ रहा साइबर अपराध
क्रिप्टोकरेंसी विशेष रूप से बिटकॉइन, एथेरियम आदि ने वैश्विक वित्तीय बाजार में एक नई दिशा प्रदान की है। हालांकि, इसके कई लाभ हैं, लेकिन यह भी कई जोखिमों को जन्म देता है।
धोखाधड़ी और धोखाधड़ी योजनाएं : अनधिकृत क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और पंप-एंड-डंप स्कीम्स लोगों को धोखा देती हैं।
ट्रांजेक्शन का बैनाम होना : क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति के कारण, उपयोगकर्ताओं की पहचान गुमनाम रहती है, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
साइबर हमले : क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट्स और एक्सचेंज पर हैकिंग हमले होते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में धन की चोरी होती है।
इन खतरों से ऐसे निपटा जा सकता है
एनक्रिप्शन और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन : डार्क वेब पर होने वाली अवैध गतिविधियों से बचने के लिए डेटा एनक्रिप्शन और सुरक्षित संदेश संचार आवश्यक हैं।
मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन : क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट्स और एक्सचेंजों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग किया जाना चाहिए।
कानूनी निगरानी : डार्क वेब पर होने वाली अवैध गतिविधियों के खिलाफ कड़ी निगरानी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सक्रिय कार्रवाई की आवश्यकता है।
क्रिप्टोकरेंसी ट्रैकिंग : क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन की निगरानी और उनके स्रोत का पता लगाने के लिए विशिष्ट टूल्स और सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आधिकारिक जागरूकता अभियान : आम जनता को क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों और डार्क वेब की खतरनाक गतिविधियों के बारे में जागरूक करना बहुत महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा सिखाना : व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं और व्यापारों को ऑनलाइन सुरक्षा की समझ और सावधानियां सिखाना आवश्यक है।
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