Lucknow News: हाय गर्मी! इंसान से लेकर जानवर तक बेहाल
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी प्रचंड गर्मी ने इंसान ही नहीं जानवरों को भी बेहाल कर रखा है। लखनऊ स्थित चिडि़याघर में जीव जंतु गर्मी से परेशान दिखे।
1) धूप के बीच दर्शकों को दर्शन देता जिराफ। 2) पेड़ की छांव के नीचे आराम फरमाता बाघ। 3) दर्शकों से रूबरू भालू। 4) पेड़ के नीचे बतयिाते हिरण। 5) पानी में हाथ डालकर बैठा बंदर। 6) शुतुरमुर्ग ने भी दर्शकों को आसानी से दर्शन दिए। 7) तालाब किनारे आराम फरमाते पक्षी। 8) पानी में खड़ा होकर पोज देता सारस। Photograph: (वाईबीएन)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूरे यूपी में प्रचंड गर्मी और चिपचिपाती गर्मी का कहर जारी है। पिछले कई दिनों से जारी सूरज देवता की तपिश ने हर किसी को परेशान कर रखा है। इंसान ही नहीं, बल्कि जानवर भी इससे बेहाल हैं। बुधवार दोपहर करीब सवा एक बजे अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस था, ऐसे में शहर की सड़कों पर भी सामान्य दिनों की तुलना में ट्रैफिक बहुत कम था। भीषण गर्मी के इस मौसम में राजधानी लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान (चिडि़याघर) के जीव-जंतु भी बेहाल हैं और मानो बारिश का इंतजार कर रहे हैं। चिडि़याघर प्रशासन भी इनको गर्मी से राहत देने के लिए हर संभव उपाय कर रहा है।
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किसी को पेड़ की छांव का सहारा तो कोई गुफा से बाहर ही नहीं निकला
चिडि़याघर में बुधवार सुबह अधिकांश जानवर तेज धूप से बचने के लिए या तो पेड़ों की छांव के नीचे नजर आए या फिर पानी से भरे तालाब के पास। सबसे पहले बात जंगल के राजा शेर की, तो वह महाराज गर्मी के इस मौसम में आलस के मारे अपनी गुफा से ही बाहर नहीं निकले। हां... बाघ जी ने जरूर दर्शन दिए। वह भी एक पेड़ की छांव में अपना डेरा जमाकर बैठे नजर आए और आते-जाते लोगों को देखते रहे। वहीं, भालू महाराज पहले तो अपनी गुफा में सुबह का नाश्ता ही निपटा रहे थे लेकिन दर्शकों के शोर मचाने पर वह भी इस अंदाज में बाहर आए कि मानो कह रहे हों... चलो अभी यहां से... यह मेरे नाश्ते का टाइम है। बंदर मामा कुछ अलग मूड में थे, ऐसे लग रहा था कि जैसे घरवाली से नाराज हों... चुपचाप पानी में हाथ डालकर ध्यान की मुद्रा लगाए बैठे नजर आए।
पेड़ों की छांव के नीचे आराम करता हिरणों का झुंड। Photograph: (वाईबीएन)
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स्प्रिंकल चलने का इंतजार करते दिखे जीव-जंतु
अब बात जिराफ साब की करते हैं। यह साब बिना गर्मी की परवाह करते हुए खुलकर दर्शकों के सामने आए। बच्चों ने भी हाथ हिलाकर और शोर मचाकर उनका स्वागत किया। कुछ बच्चे खाने की चीजें उनके बाड़े में फेंकने की कोशिश करते दिखे। शुतुरमुर्ग परिवार के सदस्य अलग-अलग दर्शकों से रूबरू हुए। मानो व्यक्तिगत संबंध ज्यादा बना रहे हों। हिरणों की कहानी कुछ अलग ही थी। कुछ झुंड में पेड़ों की छांव में थे तो कुछ स्प्रिंकल चलने का इंतजार करते दिखे, ताकि पानी में मस्ती की जा सके। पक्षियों की दुनिया अपने में ही मस्त नजर आई। धूप से बचने के लिए सिर पर चटाई की जो छांव थी। अधिकांश पक्षी तालाब के पानी में तैरते या किनारे पर बैठे नजर आए। सारस बाबू अपने ही अंदाज में पानी के बीच में खड़े होकर पोज दे रहे थे।
तालाब किनारे अठखेलियां करते पक्षी। Photograph: (वाईबीएन संवाददाता)
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जीव-जंतुओं को राहत देने के हर संभव प्रयास कर रहे : अदिति शर्मा
वहीं, चिड़ियाघर की निदेशक अदिति शर्मा ने बताया कि गर्मी बढ़ती जा रही है... ऐसे में बाड़ों को ढकने के लिए चटाई और अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं। स्प्रिंकलर लगाए गए हैं, पानी की व्यवस्था की गई है, तालाबों में पानी भरा गया है, ऐसे सभी प्रयास किए जा रहे हैं...जिससे उन्हें राहत मिले... खाने में भी बदलाव किए गए हैं...जिससे जीव-जंतुओं को किसी तरह की समस्या न हो।
चिडि़याघर की निदेशक अदिति शर्मा। Photograph: (वाईबीएन)
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खाने में पपीते से लेकर खीरा तक दिया जा रहा जीव-जंतुओं को
जीव-जंतुओं को खाना खिलाने वाले महेंद्र सिंह बिष्ट यहां साल 1997 से काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि हर साल गर्मियों के मौसम में इनके खाने में बदलाव किया जाता है ताकि गर्मी से राहत मिल सके। इस सीजन में भी ऐसा ही किया गया है। इनके खाने में पपीता, सेब, मौसमी, आम, केले जैसे फल, खीरा, प्याज, बैंगन, ककड़ी, मूंगफली, हरी पत्तियां और भी बहुत कुछ शामिल किया गया है। ज्यादातर फोकस हरी फल व सब्जियों पर रहता है, ताकि गर्मी से राहत मिले।