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शिक्षामित्रों का धरना 16वें दिन भी जारी : पोस्टकार्ड के जरिए CM Yogi से लगाई गुहार, बोले-'भीख नहीं सम्मान चाहिए'

शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्हें साल में सिर्फ 11 महीने का वेतन दिया जाता है और वह भी मात्र 10 हजार। इससे न तो घर चल पाता है और न ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और माता-पिता की देखभाल संभव है।

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Abhishek Mishra
Shikshamitras protest continues on 16th day

तपती धूप में शिक्षामित्रों का विरोध प्रदर्शन जारी

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश के शिक्षामित्र बीते 16 दिनों से राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में अपनी मांगों को लेकर अनवरत धरना दे रहे हैं। बुधवार को उन्होंने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया और ‘पोस्टकार्ड प्रदर्शन’ किया। सैकड़ों शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोस्टकार्ड भेजकर अपनी व्यथा और मांगें दर्ज कराईं। भीषण गर्मी और लू के प्रकोप के बावजूद शिक्षक बनने की लड़ाई लड़ रहे ये अभ्यर्थी तपते पत्थरों पर बैठकर सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने “भीख नहीं, सम्मान चाहिए – पूरा वेतनमान चाहिए” जैसे नारों के साथ प्रदर्शन किया।

50 हजार शिक्षामित्र कर रहे हैं संघर्ष

उत्तर प्रदेश में लगभग 50 हजार शिक्षामित्र हैं, जो टीईटी और सीटीईटी परीक्षा पास कर चुके हैं। ये सभी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCTE) के मानकों पर पूरी तरह खरे उतरते हैं। बावजूद इसके, ये शिक्षामित्र अभी तक स्थायी नियुक्ति की राह देख रहे हैं। शिक्षामित्रों कहना है कि उन्होंने वर्षों तक शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देने में योगदान दिया है, लेकिन अब न उन्हें स्थायीत्व मिल रहा है और न ही सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पर्याप्त वेतन।

चुनावी वादों की याद दिलाई

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शिक्षामित्र गुड्डू सिंह ने कहा, “हमारी मांगें न नई हैं, न गलत। 2017 में भाजपा के संकल्प पत्र में हमें न्याय देने की बात कही गई थी, लेकिन आज भी हम सड़क पर बैठने को मजबूर हैं। शासन-प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा।” उन्होंने बताया कि प्रदेशभर से आए शिक्षामित्र अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए पोस्टकार्ड का सहारा ले रहे हैं। शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्हें साल में सिर्फ 11 महीने का वेतन दिया जाता है और वह भी मात्र 10 हजार। इससे न तो घर चल पाता है और न ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और माता-पिता की देखभाल संभव है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि वे समर कैंप में भी सेवा दे रहे हैं, लेकिन सुविधाएं शून्य हैं।

अन्य राज्यों की तर्ज पर सुविधाओं की मांग

शिक्षामित्रों की प्रमुख मांग है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की तरह उन्हें भी स्थायी किया जाए। जो अभी तक टीईटी पास नहीं कर सके हैं, उन्हें योग्यता पूर्ण करने का अवसर दिया जाए। साथ ही, 12 महीने का वेतन, चिकित्सकीय अवकाश, 14 आकस्मिक छुट्टियां, महिला शिक्षामित्रों को अंतर्जनपदीय स्थानांतरण जैसी सुविधाएं देने की भी मांग की जा रही है। शिक्षामित्रों ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार द्वारा गंभीरता से विचार नहीं किया जाएगा और ठोस निर्णय नहीं लिया जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

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