लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में करीब 22 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग चुके हैं। इन मीटरों को लगाने का मकसद था कि लोगों को सस्ती बिजली मिले और चोरी भी रोकी जा सके। हालांकि, स्मार्ट मीटर से बिजली सस्ती होने के बजाय और महंगी हो गई है। स्मार्ट मीटर जंप होने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। विद्युत उपभोक्ता परिषद के साप्ताहिक वेबीनार में शनिवार को प्रदेश के उपभोक्ताओं ने यह मुद्दा उठाया।
घरेलू लोड 40 किलोवाट तक पहुंचा
उपभोक्ताओं ने कहा कि कई जनपदों में स्मार्ट मीटर जंप कर रहे हैं। कुछ मामलों में घरेलू उपभोक्ताओं के विद्युत भार 40 किलो वाट तक पहुंच गया। उनका कहना है कि अभी पूरे स्मार्ट मीटर लगे भी नहीं और उसमें जंप की शिकायत आने लगी। आने वाले समय में रीडिंग भी जंप हो सकती है।
घटिया मीटर सप्लाई का आरोप
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह मुद्दा पावर कारपोरेशन प्रबंधन के सामने उठाया जाएगा और सभी बिजली कंपनियों से बात की जाएगी। उपभोक्ताओं के साथ किसी भी स्तर पर धोखाधड़ी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियां निजीकरण के आंदोलन की आड़ में घटिया मीटर सप्लाई कर रही हैं। बहुत जल्दी इसका खुलासा किया जाएगा।
नियामक आयोग में पहुंचेगा मामला
अवधेश वर्मा ने कहा कि भारत सरकार के आदेश के तहत पांच प्रतिशत चेक मीटर लगाए गए। आज तक उसका मिलान जारी नहीं किया गया। स्मार्ट मीटर तेज चल रहे हैं या सही इसकी पुष्टि के लिए चेक मीटरों से उनका मिलान जरूरी है। लेकिन कंपनियां ऐसा न करके निजीकरण की आड़ में घटिया क्वॉलिटी के स्मार्ट मीटर लगा रही हैं। जल्द ही इसकी एक रिपोर्ट नियामक आयोग के सामने रखी जाएगी।
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