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स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ नहीं लगाए जा रहे चेक मीटर
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के घर लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर को चेक करने की व्यवस्था पूरी तरह से फेल है। इस स्मार्ट मीटरों के समानांतर कम से कम पांच प्रतिशत चेक मीटर लगाए जाने का नियम होने के बावजूद ऐसा नहीं किया जा रहा है। प्रदेश में अभी तक 32.46 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। जबकि चेक मीटर तय मानक से कम लगे हैं। इनका मिलान भी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओ की मीटर तेज चलने की समस्या का समााधान नहीं हो पा रहा है।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल में लगे इतने चेक मीटर
प्रदेश की पांचों बिजली कंपनियों में पूर्वांचल डिस्कॉम में 11 लाख 29442 स्मार्ट मीटर और 65026 (5.76 प्रतिशत) चेक मीटर लगाए गए हैं। मध्यांचल में 7 लाख 11472 स्मार्ट प्रीपेड मीटर और 43578 (6.13 प्रतिशत) चेक मीटर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 7 लाख 45916 स्मार्ट प्रीपेड और 29260 (3.92 प्रतिशत) चेक मीटर लगए गए हैं।
प्रदेश में 4.64 प्रतिशत चेक मीटर लगे
इसके अलावा केस्को कानपुर में 31660 स्मार्ट प्रीपेड मीटर और 1892 (5.98 प्रतिशत) चेक मीटर, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में 6 लाख 28 हजार 437 स्मार्ट प्रीपेड मीटर और 10783 (1.87 प्रतिशत) ही चेक मीटर लगे हैं। इस तरह प्रदेश में कुल 32 लाख 46927 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए। इसके मुकाबले 1 लाख 50539 (4.64 प्रतिशत) चेक मीटर ही लग पाए, जो पांच प्रतिशत से कम हैं।
टेंडर राशि बढ़ाकर 27,324 करोड़ कर दी
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि निजी घरानों को लाभ देने के लिए पावर कारपोरेशन ने केन्द्र सरकार के आदेश को ​दरकिनार कर दिया। मीटर लगाने के लिए 18,885 करोड़ रुपये का टेंडर 27,342 करोड़ रुपये में दिया गया। ऊर्जा मंत्रालय ने पूरे सिस्टम सहित प्रति मीटर की कीमत 6000 रुपये निर्धारित की थी। लेकिन बिजली कंपनियों ने 8000 प्रति मीटर का टेंडर दे दिया।
प्रीपेड मीटर तेज चलने की शिकायत
वर्मा ने काह कि प्रदेश में बड़े पौमाने पर प्रीपेड मीटर तेज चलने की शिकायत आ रही हैं। लेकिन पावर कारपोरेशन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा कि कारपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले कंपनियों को ममनानी की छूट दे रखी है। इससे प्रदेश में प्रीपेड मीटर की योजना फेल हो गई। वर्मा ने कहा कि कारपोरेशन चाहे जितनी कोशिश का ले बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं होने वाला है।
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