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मस्जिद में सपा की बैठक पर गरमाई सियासत Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। संसद का मानसून सत्र के शुरू हो चुका है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव इस वक्त दिल्ली में हैं। इस बीच मंगलवार को वह अपनी पार्टी के कुछ सांसदों के साथ संसद भवन के पास स्थित एक मस्जिद गए। इस पूरे को मामले को लेकर राजनीति गरमा गई है। भाजपा ने उन पर आरोप लगाया है कि वह मस्जिद में राजनीतिक बैठक करने गए थे। वहीं, सपा मुखिया ने भाजपा के आरोप पर पलटवार किया।
वोट बैंक के लिए पाखंड
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय इस मामले को लेकर बुधवार को एक्स पर लिखा कि अखिलेश यादव ने संसद परिसर के पास स्थित मस्जिद में राजनीतिक बैठक की। ये वही हैं जिन्होंने राम मंदिर के भव्य उद्घाटन (22 जनवरी 2024) को 'राजनीतिक प्रोजेक्ट' बताकर दूरी बना ली थी। यह 'धर्मनिरपेक्षता' नहीं, बल्कि वोट बैंक के लिए किया गया पाखंड है।
अखिलेश यादव का भाजपा पर पलटवार
मस्जिद के अंदर कथित तौर पर हुई बैठक पर अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि आस्था जोड़ती है और जो आस्था जोड़ने का काम करती है, हम उसके साथ हैं। भाजपा को यही तकलीफ है कि कोई जुड़े नहीं। भाजपा लोगों में दूरियां देखना चाहती है। भाजपा चाहती है कि लोग एकजुट न होकर बंटे रहें। हमारी सभी धर्मों में आस्था है। भाजपा को तकलीफ है तो हम क्या करें। भाजपा को आप सब जानते हैं, भाजपा का हथियार ही धर्म है।
डिप्टी सीएम का सपा प्रमुख पर तीखा हमला
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख और समाजवादी पार्टी हमेशा संविधान का उल्लंघन करते हैं। भारतीय संविधान कहता है कि हम राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक स्थलों का उपयोग नहीं कर सकते। उन्हें संविधान में विश्वास नहीं है। पाठक ने अखिलेश यादव को 'समाजवादी' न कहकर 'नमाजवादी' कहा। पाठक ने कहा कि वो हमेशा नमाजवादी बने रहते हैं। ब्रजेश पाठक ने कहा कि अखिलेश यादव की सत्ता में वापसी की कोई संभावना नहीं है।
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