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Culture News : गीत-संगीत की सुरलहरी और वाद्य यंत्रों की लय में डूबे प्रतिभागी, दिव्यांग बच्चे शास्त्रीय संगीत के बन रहे महारथी

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मांडवी सिंह ने बताया कि दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने का यह अनूठा प्रयास है। इससे दिव्यांग बच्चों की मनोस्थिति पर अनुकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है।

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Deepak Yadav
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Bhatkhande Cultural University workshop

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय कार्यशाला में प्रतिभागियों का दिखा उत्साह Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में चल रही ग्रीष्मकालीन संगीत, नृत्य एवं कला की मासिक कार्यशाला में प्रतिभागियों का खास उत्साह देखने को मिला। कार्यशाला के तीसरे दिन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से कुल 403 प्रतिभागियों ने भाग लेकर अपनी कला और संगीत के प्रति गहरी अभिरुचि का परिचय दिया। यह कार्यशाला सुबह नौ बजे से 11 बजे तक चली। इसमें संगीत, नृत्य और कला के विविध विषयों पर प्रशिक्षण और अभ्यास कराया गया। यह कार्यशाला युवाओं को अपनी प्रतिभा निखारने में अहम पहल साबित हो रही है। 

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दिव्यांग बच्चों को शास्त्रीय गायन का विशेष प्रशिक्षण

विश्वविद्यालय की ग्रीष्मकालीन कार्यशाला में दिव्यांग बच्चों को शास्त्रीय गायन का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पहल के तहत तीन दिव्यांग बच्चों ने गायन में भाग लिया। विश्वविद्यालय के की ओर से दिव्यांग विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने का यह एक विशेष प्रयास है। कार्यशाला में बच्चे और अन्य प्रतिभागी कुशल प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में गायन और वादन की विभिन्न विधाओं को सीख रहे हैं। विशेषज्ञ शिक्षक हर बच्चे को व्यक्तिगत प्रशिक्षण देकर उनकी कला को निखारने में मदद कर रहे हैं। इससे बच्चों को अपनी प्रतिभा को विकसित करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का अनूठा अवसर मिल रहा है।

दिव्यांग बच्चों मानसिक विकास का होगा आकलन

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विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मांडवी सिंह ने बताया कि दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने का यह अनूठा प्रयास है। इससे दिव्यांग बच्चों की मनोस्थिति पर अनुकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। संगीत से दिव्यांग विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक विकास में होने वाले प्रभाव का आकलन कर समीक्षा की जाएगी। कार्यशाला के समन्वयक डॉ मनोज कुमार मिश्र ने बताया की 26 जून तक चलने वाली इस कार्यशाला में लोगों की विशेष अभिरुचि देखने को मिल रही है। प्रतिदिन प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ बच्चों, महिलाओं, दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों को उनकी अभिरुचि के अनुसार प्रशिक्षित किया जा रहा है।

पांच से लेकर 75 साल के लोग ले रहे हिस्सा

इसमें शास्त्रीय गायन में 49, सुगम संगीत में 15, तबला में 15 पखावज में चार, ढोलक में 35, सितार में नौ, बायलिन में छह, गिटार (बेस्टर्न) में 50, बांसुरी में 21, हारमोनियम में 21, कीबोर्ड में 28, कथक नृत्य में 90, भरतनाट्यम में 22, लोकनृत्य में सात, पेंटिंग में 22, और क्ले मॉडलिंग में छह विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाल में पांच साल से लेकर 75 वर्ष के लोगों की रुचि देखने को मिल रही है।

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