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उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल के धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक स्थलों के समग्र विकास की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। बलिया, आजमगढ़, महराजगंज और मऊ जिलों के दस धार्मिक स्थलों के पर्यटन विकास हेतु कुल 6 करोड़ 80 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सरकार की इस पहल का उद्देश्य धार्मिक स्थलों के आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करना और क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है। इससे न केवल आस्था केंद्रों का कायाकल्प होगा बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
बलिया जनपद के लिए सबसे अधिक बजट
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि बलिया जनपद के लिए सबसे अधिक बजट, कुल 4 करोड़ 19 लाख 16 हजार रुपये की 6 परियोजनाओं को स्वीकृति मिली है। इनमें ग्राम खरहाटार स्थित शिव मंदिर के विकास हेतु 61.38 लाख, तहसील सिकंदरपुर के ग्राम कठौड़ा में श्रीकृष्ण कृपा धाम के लिए 43.31 लाख, ग्राम चरौआ के ऐतिहासिक राम जानकी मंदिर हेतु 48.85 लाख, रसड़ा क्षेत्र के लखनेश्वर डीह के लिए 57.63 लाख, बेल्थरा रोड स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर परिसर के लिए 56.85 लाख तथा ग्राम बसंतपुर स्थित उदासीन मठ की सबसे बड़ी परियोजना के लिए 1.51 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इसी क्रम में महराजगंज जनपद के भैरव बाबा स्थल के पर्यटन विकास हेतु 64.44 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है, जिसमें मंदिर परिसर के नवीनीकरण के साथ-साथ आगंतुकों के लिए बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। आजमगढ़ जनपद में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो प्रमुख स्थलों के विकास के लिए धनराशि स्वीकृत की गई है। इनमें ग्राम भदनपुर स्थित श्री प्रथम देव बहरा देव बाबा स्थल के लिए 76.15 लाख तथा राम जानकी मंदिर के लिए 57.61 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। वहीं मऊ जनपद के मधुबन तहसील में स्थित बीरा बाबा मंदिर के पर्यटन विकास के लिए 42.92 लाख रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है।
श्रद्धालुओं प्राप्त होंगी सुविधाएं
पर्यटन मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से न केवल श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी गति मिलेगी। इससे क्षेत्रीय विकास और सांस्कृतिक पहचान को नया आयाम मिलेगा।