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डॉ. शाहीन
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल की प्रमुख सदस्य डॉ. शाहीन की जांच ने सुरक्षा एजेंसियों के हाथ-पांव फुला दिए हैं। एटीएस और अन्य जांच टीमों के सामने यह मामला इतनी जटिलता लिए हुए है कि हर कदम पर नई चुनौती सामने आ रही है।सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन ने हाल ही में फरीदाबाद से नया पैन कार्ड बनवाया है। वहीं, उसने छह महीने पहले दिल्ली से अपना पासपोर्ट रिन्यू करने के लिए आवेदन किया था। इससे पहले शाहीन ने लखनऊ से पासपोर्ट रिन्यू करवा रखा था। सऊदी अरब के एक अस्पताल में चार साल तक कार्य करने के बाद भारत लौटते ही नया पैन कार्ड बनवाने की प्रक्रिया ने जांचकर्ताओं की मुश्किलें दोगुना कर दी हैं। पुराने पैन कार्ड और बैंक खातों की जानकारी न मिलने से उसके वित्तीय लेन-देन और निवेश की कड़ियों का पता लगाना मुश्किल हो गया।
शाहीन के भाई डॉ. परवेज के पैन कार्ड लखनऊ से बनाए गए थे
जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि सऊदी अरब में शाहीन ने कौन से बैंक खाते खोले थे और उनका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए विदेशी फंडिंग के तौर पर हुआ या नहीं। वहीं, शाहीन के भाई डॉ. परवेज के पैन कार्ड लखनऊ से बनाए गए थे। इसके आधार पर उसके बैंक खातों, आयकर विवरण और विश्वविद्यालय में गतिविधियों की जाँच की जा रही है। एटीएस की निगाहें इंट्रीग्रल यूनिवर्सिटी पर भी टिकी हुई हैं, जहां डॉ. परवेज कार्यरत हैं।एटीएस ने प्रयागराज में चार संदिग्ध युवकों को हिरासत में लिया। ये युवक जम्मू-कश्मीर के निवासी थे और कथित रूप से चंदा बटोरने के लिए प्रयागराज व आसपास के जिलों में घूम रहे थे। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस से सत्यापन के बाद उनकी गतिविधियां संदिग्ध नहीं पाई गईं और उन्हें छोड़ दिया गया।
एटीएस अभी भी कश्मीरी मूल के छह डॉक्टरों की तलाश कर रही
सहारनपुर, मुरादाबाद, अमरोहा समेत आधा दर्जन जिलों के 14 डॉक्टरों से भी पूछताछ की गई। ये सभी फरीदाबाद मॉड्यूल के कश्मीरी और लखनऊ मूल के डॉक्टरों के संपर्क में थे, लेकिन किसी में कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं पाई गई। वहीं, एटीएस अभी भी कश्मीरी मूल के छह डॉक्टरों की तलाश कर रही है, जो डॉ. परवेज के संपर्क में रहे हैं। इनमें से दो डॉक्टर तीन साल पहले इस्लामाबाद भी गए थे।जांच अधिकारी मान रहे हैं कि यह मामला न केवल अंतरराज्यीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भी लिए हुए है। दस्तावेजों और वित्तीय रिकॉर्ड की जाँच से एजेंसियां फरीदाबाद मॉड्यूल की विदेशी फंडिंग और आतंकी नेटवर्क के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास कर रही हैं।इस सनसनीखेज मामले ने सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती को सामने ला दिया है जहां एक तरफ एजेंसियों को दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन की जटिलताओं से जूझना है, वहीं दूसरी ओर मॉड्यूल की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां जांच को और पेचीदा बना रही हैं।
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