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IET : माइक्रोग्रिड संचालन पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न, देशभर के विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव

कार्यशाला में आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर, आईआईटी तिरुपति, जीई, बॉश, एयू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग समेत कई संस्थानों के विशेषज्ञों ने माइक्रोग्रिड, स्मार्ट ग्रिड, साइबर सुरक्षा और ऊर्जा उत्पादन पर व्याख्यान दिए।

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Abhishek Mishra
इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी

IET लखनऊ में माइक्रोग्रिड संचालन पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) लखनऊ के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में एडवांसिज़ इन कंट्रोल एंड मैनेजमेंट ऑफ माइक्रोग्रिड ऑपरेशंस विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरई), भारत सरकार की परियोजना के तहत संपन्न हुई, जिसका उद्देश्य माइक्रोग्रिड के संचालन और प्रबंधन के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम शोध और तकनीकी जानकारी को छात्रों और शोधकर्ताओं तक पहुंचाना था।

ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने पर जोर

कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो विनीत कंसल ने किया। उन्होंने छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रोग्रिड के उपयोग से ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। विभागाध्यक्ष प्रो अनुराग त्रिपाठी ने ग्रीन एनर्जी आधारित माइक्रोग्रिड को बढ़ावा देने और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यशाला की समन्वयक प्रो सीता लक्ष्मी ने आईईटी में माइक्रोग्रिड पर हो रहे शोध की जानकारी दी और बताया कि यह शोध कार्य सीपीआरई से फंडेड है, जिसमें प्रो सीता लक्ष्मी और डॉ नितिन आनंद श्रीवास्तव का महत्वपूर्ण योगदान है।

पहले दिन विशेषज्ञों ने दिए तकनीकी व्याख्यान

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पहले दिन आईआईटी रुड़की के प्रो विशाल कुमार ने एफपीजीए आधारित डिजिटल रिले की मदद से माइक्रोग्रिड को फॉल्ट से बचाने की तकनीक पर व्याख्यान दिया। वहीं, जीई के सीनियर इंजीनियर डॉ. बालाकृष्णन पी. ने स्मार्ट ग्रिड और साइबर सुरक्षा पर चर्चा की। बॉश ग्लोबल सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज़ के डॉ. राहुल कुमार दुबे ने स्मार्ट ग्रिड की चुनौतियों और उनके समाधान प्रस्तुत किए।

साइबर स्मार्ट ग्रिड और नीतियों पर रहा फोकस 

आईआईटी कानपुर के प्रो. अंकुश शर्मा ने ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उर्जा उत्पादन की रणनीतियों पर जानकारी दी जबकि एयू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापट्टनम के प्रो. चिंतापल्ली वी.वी.एस. भास्कर रेड्डी ने माइक्रोग्रिड संचालन की जटिलताओं पर शोध अनुभव साझा किए। दूसरे दिन आईआईटी तिरुपति के डॉ. विग्नेश वी. ने साइबर फिजिकल स्मार्ट ग्रिड पर विस्तृत व्याख्यान दिया। एमएनआरई, भारत सरकार के साइंटिस्ट एवं डिप्टी डायरेक्टर श्री अरुण कुमार चौधरी ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हो रही प्रगति और सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला।

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शोधार्थियों ने कराया व्यावहारिक अनुभव

आईईटी के शोधार्थी आकाश सिंह एवं विदित शर्मा द्वारा "हार्डवेयर-इन-द-लूप (HIL)" पर हैंड्स-ऑन सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया गया। समापन सत्र में प्रो. सीता लक्ष्मी ने सभी वक्ताओं, उपस्थित प्रतिभागियों और संस्थान के निदेशक प्रो. विनीत कंसल का आभार जताया। कार्यशाला का संचालन सुश्री राहत नाज़ ने किया।

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