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यूपी की हरियाली में आएगी क्रांति, मियावाकी जंगल, वर्टिकल गार्डन से बदलेगी शहरों की तस्वीर

शहरी हरित नीति के तहत ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क स्थापित करने का प्रावधान है। जिसके तहत प्रदेश के शहरों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।

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Deepak Yadav
UP cabinet Urban Green Policy approve

शहरी हरित नीति को यूपी कैबिनेट की मंजूरी Photograph: (YBN)

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  • शहरी हरित नीति को यूपी कैबिनेट की मंजूरी, अल्टीमेट ग्रीन सिटी बनेंगे प्रदेश के शहर
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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  यूपी कैबिनेट ने शुक्रवार को नगर विकास विभाग की ओर प्रस्तावित शहरी हरित नीति को मंजूरी दे दी है। यह नीति प्रदेश के शहरी स्थानीय निकायों में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी। यूपी शहरी हरित नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में सतत और संपोषणीय विकास को बढ़ावा देना है। जिसके तहत शहरी निकायों में हरित पहलों और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग प्रणाली को विकसित किया जाएगा, जो प्रदेश के शहरों को उनकी हरित पहलों के आधार पर ग्रीन स्टार रैंकिग प्रदान करेगा। साथ ही शहरों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वर्टिकल और रूफटॉफ गार्डेन के अलावा मियावाकी जंगलों को विकसित किया जाएगा।   

ग्रीन शहरों में बनेंगे वर्टिकल गार्डन, पार्क और मियावाकी फॉरेस्ट

प्रदेश सरकार की शहरी हरित नीति, प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाएगी। शहरी हरित नीति के तहत तीन-स्तरीय रणनीति अपनाई जाएगी, जिसमें शहर, मोहल्ला और भवन स्तर पर हरित पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा। एक ओर शहरी क्षेत्र में मियावाकी पद्धति का उपयोग करते हुए तीव्र विकास वाले घने मिनी-वनों का निर्माण किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर शहरों में हरित पहलों को बढ़ावा देते हुए ग्रीन बेल्ट, निम्न-उत्सर्जन क्षेत्र, स्पॉन्ज पार्क और शहरी हरित मेले आयोजित किए जाएंगे। मोहल्ला स्तर पर, पॉकिट पार्क, सामुदायिक बग़ीचे और पार्क गोद लेने की योजनाओं का विकास किया जाएगा। साथ ही भवन स्तर पर, नए निर्माणों के लिए हरित भवन मानकों को अनिवार्य किया जाएगा, जो पर्यावरण के अनुकूल सामग्री, ऊर्जा बचाने वाली प्रौद्योगिकियों और ग्रीन रुफ़्स को बढ़ावा देगा।

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केंद्र-राज्य सरकार की योजनाओं से मिलेगी वित्तीय सहायता

प्रदेश में शहरी हरित नीति के सफल संचालन के लिए विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार योजनाओं के माध्यम से धनराशि एकत्रित करने का प्रावधान है। जिसमें अमृत 2.0, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, केंद्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग शामिल हैं। इसके अलावा, शहरी स्थानीय निकाय अपनी आय, सीएसआर फंड और अन्य स्रोतों से भी सहायता प्राप्त की जा सकती है। साथ ही शहरी हरित नीति के तहत सामुदायिक भागीदारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिसमें स्कूलों, कार्यालयों और संगठनों के माध्यम से वृक्षारोपण अभियान चलाए जाएंगे। साथ ही रूफटॉफ और वर्टिकल गार्डन को प्रोत्साहित किया जाएगा। सार्वजनिक सहभागिता बढ़ाने के लिए ग्रीन मेले, कार्यशालाएं और फूलों के त्योहार जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

विकसित की जाएगी ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग प्रणाली 

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शहरी हरित नीति के तहत ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क स्थापित करने का प्रावधान है। जिसके तहत प्रदेश के शहरों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें शहरों को उनके ग्रीन कवर और हरित पहलों के आधार पर रैंक किया जाएगा। इसके तहत शहरों को ग्रीन सिटी, ग्रीन +, ग्रीन ++ और ग्रीन +++ की रैंक प्रदान की जाएगी। प्रत्येक शहर की निगरानी स्थानीय, राज्य और तीसरे पक्ष की एजेंसियों द्वारा की जाएगी, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि हरे-भरे कवर को बढ़ाने के लिए समयबद्ध और प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। सर्वाधिक रैंकिग प्राप्त करने वाले शहर अल्टीमेट ग्रीन सिटी का पुरूस्कार प्राप्त करेंगे। 

तीन चरणों में प्रदेश में लागू की जाएगी नीति

शहरी हरित नीति को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में ये नीति 2025–2027 तक स्मार्ट शहरों और प्रमुख महानगरों पर ध्यान केंद्रित करेगी। तो वहीं दूसरे चरण में 2027–2030 तक उन शहरों को शामिल किया जाएगा जिनकी जनसंख्या एक लाख से अधिक है। जबकि तीसरे चरण में वर्ष 2030 के बाद ये नीति पूरे राज्य की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भी लागू की जाएगी। यह नीति न केवल पर्यावरणीय लाभ प्रदान करेगी, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी। सामाजिक दृष्टिकोण से, यह नीति बच्चों के खेलने के लिए सुरक्षित स्थान, पर्यावरणीय शिक्षा और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देगी। आर्थिक दृष्टिकोण से, हरे-भरे क्षेत्रों के पास संपत्ति के मूल्य में वृद्धि होगी और ऊर्जा लागत में कमी आएगी। इस नीति के माध्यम से यूपी न केवल स्थानीय पर्यावरणीय सुधारों में योगदान देगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी जलवायु परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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