लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार को थनैला (मैस्टाइटिस) के नियंत्रण के लिए सघन अभियान चलाने के निर्देश दिये। उन्होंने पुशपालन विभाग के अधिकारियों से कहा कि प्रचार-प्रसार की कार्ययोजना तैयार कर बीमारी से रोकथाम के लिए निर्धारित एसओपी की जानकारी पशुपालकों तक पहुंचाई जाये। पशु आहार के मानक निर्धारण व गुणवत्ता के लिए पशुपालन विभाग नीति निर्धारित करे।
लक्षण दिखते ही पशु चिकित्सक से करें संपर्क
मुख्य सचिव ने पशुपालकों को थनैला बीमारी के प्रति जागरूक करने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि थनैला के लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें और संक्रमित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें, ताकि इस बीमारी का प्रसार रोका जा सके। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश के चार विश्वविद्यालयों को थनैला, बांझपन, नस्ल सुधार तथा अन्य संक्रामक बीमारियों और परजीवी नियंत्रण के लिए विशेष कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश दिए।
थनैला रोग के मामले लगभग 10 प्रतिशत
प्रमुख सचिव पशुधन के. रवींद्र नायक ने प्रदेश में थनैला रोग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा संचालित मोबाइल वेटनरी यूनिट्स एवं पशु चिकित्सालयों के माध्यम से पशुपालकों को पशु चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उनके अनुसार, थनैला रोग के मामले लगभग 10 प्रतिशत हैं। इसके उपचार के लिए विभाग समय-समय पर सीएमटी किट और अन्य आवश्यक औषधियों से सबक्लिनिकल तथा क्लीनिकल थनैला रोग की जांच और निदान करता है। बैठक में पशुपालन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, विषय विशेषज्ञ और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के सभी जनपदों के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) भी शामिल थे।
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