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पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का फाइल फोटो। Photograph: (वाईबीएन)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के अफसरों में अंदरूनी अदावत की खबरें पहले भी आती रही हैं, लेकिन इस बार चर्चा का विषय बना हुआ है पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को दस करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया जाना और फिर कुछ दिन के भीतर ही उसे निरस्त कर दिया जाना। मनोज कुमार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वस्त अफसरों में शुमार रहे हैं, इसलिए यह संभावना पहले ही जताई जाने लगी थी कि यह नोटिस अंततः निरस्त कर दिया जाएगा और हुआ भी ऐसा ही। हालांकि असल सवाल बना हुआ है कि आखिर पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ इतना बड़ा कदम आखिर किसके इशारे पर उठाया गया था। मनोज कुमार सिंह की गिनती राज्य सरकार के ताकतवर अधिकारियों में होती थी। मुख्य सचिव पद से रिटायर होने के पहले राज्य सरकार की ओर से उनके सेवा विस्तार के लिए भी लिखा गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।
डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने दिए थे वसूली के आदेश
पूरा मामला यह है कि खाद्य प्रसंस्करण नीति के क्रिन्यावयन के लिए यूपीडास्प (उत्तर प्रदेश विविध कृषि सहायता परियोजना) को 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई थी। आरोप यह था कि इसको खर्च करने में अनियमितता बरती गई। इस राशि से चार फर्मों को भुगतान किया गया। आरोप यह है कि इस भुगतान में खाद्य प्रसंस्करण नीति का उल्लंघन किया गया। यह प्रकरण जब उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सामने आया तो उन्होंने वसूली के आदेश दिए। इस पर उद्यान एवं खाद्य संस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने यूपीडास्प के प्रबंध वित्त व तकनीकी समन्वयक शैलेन्द्र प्रताप सिंह को धनराशि की वसूली के लिए लिखा। चूंकि भुगतान जिस समय हुआ, उस समय मनोज कुमार सिंह कृषि उत्पादन आय़ुक्त थे, इसलिए उनके खिलाफ दस करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया गया। यह नोटिस चार अक्टूबर को जारी किया गया।
शासन ने फैसला पलटा, नोटिस निरस्त
मनोज कुमार सिंह अपने समय में प्रभावी अफसर थे और मुख्यमंत्री की पसंद भी इसलिए उनको नोटिस जारी करना चर्चा का विषय बना हुआ था। यह संभावना भी जताई जाने लगी थी कि अंततः यह नोटिस निरस्त कर दिया जाएगा और ऐसा ही हुआ भी। वर्तमान कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार के पास यह प्रकरण पहुंचते ही उन्होंने इसकी समीक्षा की। इसके बाद उन्होंने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा को आदेश जारी किया कि इस नोटिस को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। सूत्रों के अनुसार दीपक कुमार ने समीक्षा में पाया कि यूपी डास्प को पांच-पांच करोड़ की दो किस्तें जारी की गईं थीं। पहली किस्त से क्राप सर्वे कमांड सेंटर की स्थापना की गई, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री कर चुके हैं। इसका उपभोग प्रमाणपत्र जमा करने के बाद दूसरी किस्त जारी की गई। अब राज्य एंपावर्ड कमेटी की बैठक में यह मामला रखा जाएगा।
फिलहाल प्रकरण खत्म होने के आसार नहीं
पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ जारी नोटिस निरस्त कर दिया गया है, लेकिन यह प्रकरण फिलहाल खत्म होने के आसार नहीं हैं। माना जा रहा है कि इस पूरे मामले के पीछे अधिकारियों की आपसी खींचतान है, जो आगे चलकर और बढ़ सकती है। पूर्व मुख्य सचिव को राज्य सरकार के कई अधिकारियों का समर्थन है, इसलिए कुछ अधिकारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
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