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ऑनलाइन गेमिंग की लत
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। आधुनिकता और लग्जरी जीवन की दौड़ में जहां माता-पिता भागम-भाग और सुख सुविधाओं को पाने के चक्कर में दिन-रात कमर तोड़ मेहनत करने के चक्कर में अपने बच्चों या फिर उनके ऊपर आश्रित परिजनों की देख-रेख करने का समय ही नहीं मिलता। ऐसे में छोटे बच्चों को मोबाइल पर मोटू-पतलू से लेकर अन्य चीजे खेलने को दे रहे हैं तो वहीं हमारे युवा छात्र आॅन लाइन गेम खेलने के चक्कर में मां-बाप की गाढ़ी कमाई तो उडा ही दे रहे । यही नहीं यह लोग अपने दोस्तों से उधारी तक खर्च कर डालते हैं उसके बाद अपने घर में चोरी करने से लेकर हत्या तक करने से गुरेज नहीं करते हैं। तो वहीं बात युवाओं से लेकर वयस्क तक इसके शिकार होने के साथ ही अधिक शराब पीने के आदी हो जाते या फिर अन्य विसंगतियों में फंसकर अपनों की जान के दुश्मन बन जाते हैं।
गेम के चक्कर में एक युवक ने कर दी थी अपनी मां की हत्या
अभी बीते दिनों लखनऊ के मोहनलालगंज में एक युवक ने अपनी मां की हत्या कर दिया तो वहीं हरदोई में एक जवान बेटे ने अपनी विकलांग मां को नाले में डूबोकर हत्या कर चुके हैं। पहले लोग संयुक्त परिवार में रहते थे जिसमें माता पिता के साथ दादा दादी का भी डर रहता था। एक निजी स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बोली कि कई माता-पिता को लगता है कि आपके बच्चे अधिकार जताते हुए अपनी मांगों को मनवाने के साथ ही उनसे झगडने व गुस्से में मारपीट करने पर भी उतारू हो जाते हैं।
मोबाइल से प्रेम बढ़ने के पीछे अभिभावक जिम्मेदार
बच्चों का मोबाइल प्रेम बढने के पीछे इसके लिए अभिभावक ही जिम्मेदार हैं। उनका कहना है कि बच्चों में मोबाइल की लत स्कूल नहीं, अभिभावक डाल रहे हैं। बच्चों को स्कूल से डायरी मिलती है, उसमें सब कुछ अंकित होता है, लेकिन पैरेंट्स उसे नजरअंदाज कर रहे हैं। पहले स्कूल से वार्ता का जरिया यह डायरी ही हुआ करती थी। अब माता-पाता के पास उसके लिए समय ही नहीं है। बच्चे को कुछ समझना होता है तो वे किताबें कम पढ़ने के बजाए गूगल की मदद लेना अधिक पसंद करते हैं। उनका कहना है कि फोन में कोई बच्चा गेम खेलता है तो वह उसमें पूरी तरह डूबता चला जाता है। माता-पिता का इसमें बहुत बड़ा रोल होता है वह जाने-अनजाने में बच्चों को मोबाइल और टीवी के लिए प्रेरित करते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में फंसकर एक किशोर ने दे दी जान
लखनऊ के मोहनलालगंज में आॅनलाइन गेमिंग, ठगी सुर आत्महत्या से जुड़ा एक दिल दहला देने वाला मामला प्रकाश में आया था जिसमें उनकी गाढ़ी कमाई तो गई ही वही इकलौता उनका चिराग बुझ गया, वहीं दूसरी घटना आॅनलाइन गेमिंग की लत ने 14 वर्षीय किशोर कब कर्जदार हो गया कि उसे पता ही नहीं और एक दिन अपनी मां के जेवर चोरी कर रहा था उस दौरान मां ने बुरा भला कहा होगा इससे वह तहस में आकर मां को मौत के घाट उतार दिया। बात करें अब घर में वृद्ध परिजनों से वयस्क से लेकर अधेड़ तक जब उनके परिजन शराब पीने का विरोध करते हैं तो वह भी उनके कोप के भाजन हो जाते हैं यही नहीं जान भी गवानी पड़ जाती है।
दोनों कई घंटे मोबाइल पर बिताते थे समय
इस इन घटनाओं को लेकर जांच पड़ताल की तो पता चला कि वे दोनों मोबाइल पर कई घंटे रोज बिताते हैं। ये दोनों भाई तो खुश रहते हैं, लेकिन इनके माता-पिता इनके मोबाइल प्रेम से परेशान हो चुके हैं। उनके पिता ने बताया कि कुछ समय पहले तक वे खाली समय में घर के सामने वाले मैदान में भाग दौड़ वाले खेल खेलते थे। साइकिल चलाते थे, दूसरे बच्चों के साथ मौजमस्ती करते थे, लेकिन अब घर से बाहर ही नहीं निकलते। हमेशा इस जुगत में रहते हैं, कि कब मोबाइल मिले और गेम खेलना शुरू करें। सच पूछिए तो यह आदत बच्चों के लिए बहुत घातक है। डॉक्टर अपनी भाषा में बच्चों के इसे मोबाइल एडिक्शन यानि मोबाइल की लत कहते हैं।
बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा मोबाइल चलाना
फिजीशियन डा. हरपाल ने बताया कि मोबाइल का अधिक प्रयोग करने व ऑनलाइन गेम के चले बच्चे गंभीर बीमारियों के शिकार होने लगते है। वे बच्चे जो शारीरिक ऊर्जा खर्च होने वाले खेल न खेल कर सारा समय मोबाइल पर लगे रहते हैं, अक्सर मोटापा व हाईपरटेंशन जैसी बीमारियां का शिकार हो जाते हैं। उनको लाइफस्टाइल डिसआर्डर हो जाता है, जिसमें मोटापा बढ़ना, भूख कम लगना व चिड़चिड़ा होना आदि शामिल हैं। कड़वा सच यह है कि बच्चों में ये सब बीमारियां होने के जिम्मेदार माता-पिता खुद हैं।
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