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प्रतीकात्मक Photograph: (सोशल मीडिया)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद के आरक्षियों सौरभ शर्मा व सचिन शर्मा को हेड कांस्टेबल पदोन्नत पद पर कार्य करने देने व नियमित वेतन भुगतान करने का आदेश दिया है और आपराधिक केस लंबित होने के आधार पर पदोन्नति रोक कर आरक्षी पद पर वापस भेजने के 5 जून 2025 को पारित आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार से याचिका पर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने सौरभ शर्मा व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता इरफान अहमद मलिक को सुनकर दिया है।
कोर्ट ने कहा लगता है सरकार रुचि नहीं ले रही
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पदावनति आदेश के दौरान के बकाया वेतन का भुगतान याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा। याची अधिवक्ता का कहना था कि याचियों की पदोन्नति बंद लिफाफा प्रक्रिया के तहत की गई थी, जो आपराधिक केस लंबित बताया गया है, राज्य सरकार की खुद की पुनरीक्षण अर्जी पर कोर्ट ने केस कार्यवाही पर रोक लगा रखी है। केस का निस्तारण रुका है। कोर्ट ने राज्य सरकार से केस की जानकारी मांगी थी ,सूचना के बावजूद कोई जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने कहा, लगता है सरकार रुचि नहीं ले रही। याचियों की तदर्थ प्रोन्नति को केस लंबित होने के आधार पर वापस करना उचित नहीं है, जबकि सरकार ने ही केस कार्यवाही पर रोक लगवा ली है। मुद्दा विचारणीय है। कोर्ट को मांगी जानकारी न देने के कारण याची को राहत देने के अलावा अन्य विकल्प नहीं बचा है, जिस पर कोर्ट ने याचियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आदेश की प्रति उचित कार्रवाई के लिए अपर मुख्य सचिव गृह को प्रेषित करने का भी निर्देश दिया है।
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