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UP News: 2027 का चुनावी दंगल सिर्फ पीडीए के भरोसे लड़ेंगे अखिलेश यादव!

साल 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव केवल और केवल पीडीए के भरोसे लड़ने जा रहे हैं। उनकी हालिया राजनीतिक गतिविधियों और बयानों को देखकर तो यही लगता है।

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Vivek Srivastav
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प्रतीकात्‍मक Photograph: (सोशल मीडिया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में विधानसभा चुनाव तो साल 2027 में होने हैं लेकिन राजनीतिक दल अभी से ऐसा माहौल बनाए दे रहे हैं कि मानो चुनाव कल, परसों में ही हों। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपनी रणनीति और तैयारियों को लेकर काफी खुलकर सामने आ गए हैं। अब इसे बीते लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी का जोश कहें या आत्‍मविश्‍वास, अखिलेश यादव ने राजनीति की बिसात पर अपने हर मोहरे को बिठाना शुरू कर दिया है।

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सपा मुखिया की हर बात में पीडीए का जिक्र

पिछले कुछ दिनों की राजनीतिक गतिविधियों एवं घटनाओं पर नजर डालें तो साफ जाहिर होता है कि अखिलेश यादव इस बार का विधानसभा चुनाव केवल और केवल पीडीए यानी पिछड़ा, दलित व अल्‍पसंख्‍यक मतदाताओं को ध्‍यान में रखकर लड़ने जा रहे हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से वह अपनी हर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से लेकर बयान तक और यहां तक कि सोशल मीडिया पर पीडीए की बात करते नजर आए हैं। 

ऊंची जातियों पर हमले से झिझक नहीं

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इटावा में कथावाचक दलित युवकों के साथ हुए बर्बर व्‍यवहार को लेकर अखिलेश यादव ने न केवल योगी सरकार पर तीखा हमला बोला, बल्कि इसे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्‍पसंख्‍यक)  समाज पर अत्‍याचार तक बता दिया। साथ ही ऊंची जातियों पर हमला करते हुए अखिलेश यादव ने सवाल भी किया कि क्या अब कथावाचन भी वर्चस्ववादी ताकतों के अधीन हो गया है? इसी तरह कानपुर में दलित मुख्य चिकित्साधिकरी डॉ. हरिदत्त नेमी को निलंबित किए जाने को भी अखिलेश यादव ने पीडीए समाज से अन्‍याय करार दिया था। कानपुर के डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ सीएम योगी को पत्र लिखने के दो दिन बाद डॉ. नेमी को पद से हटा दिया गया। यह महज चंद उदाहरण हैं कि अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को किस दिशा में ले जा रहे हैं। 

विधायकों का निष्‍कासन पीडीए समाज को संदेश

इससे पहले समाजवादी पार्टी(samajwadi party) राज्‍यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले तीन विधायकों को यह कहते हुए निष्‍कासित कर देती है कि वे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्‍पसंख्‍यक) की विचारधारा के विपरीत काम कर रहे थे। तीनों निष्‍कासित विधायकों में मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप स‍िंह शामिल हैं। मतलब पीडीए मतदाताओं के लिए सपा मुखिया का साफ संदेश है कि हम ऊंची जातियों को आपकी तुलना में अहमियत नहीं देंगे। यहां ध्‍यान देने वाली बात यह है कि शहरों में भले अब ऊंच-नीच का महत्‍व ज्‍यादा न रहा हो। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह बदस्‍तूर कायम है और अखिलेश यादव वहीं चोट कर रहे हैं। 

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सोशल मीडिया से अपने पाले में खींचने की कोशिश

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अखिलेश यादव की पोस्‍ट। Photograph: (सोशल मीडिया)

अगर अखिलेश यादव(akhilesh yadav) के सोशल मीडिया को देखा जाए तो वह अपनी हर पोस्‍ट में पीडीए को शामिल जरूर करते हैं। एटा जिले में कितने आईपीएस और पीपीएस पीडीए समाज से आते हैं, यह बताने के लिए बाकायदा वह अपने सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल करते हैं। दरअसल, वह पीडीए समाज को साफ संदेश देना चाहते है कि समाजवादी पार्टी ही उनके मसलों को उठा सकती है और उनकी सामाजिक परेशानियों को दूर कर सकती है।

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samajwadi party akhilesh yadav
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