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Crime News: सेना के नाम पर तस्करी, 3.12 करोड़ का गांजा लेकर जा रहा तस्कर मऊ से गिरफ्तार

एसटीएफ यूपी ने मऊ जिले से 12.50 कुंटल गांजा (अनुमानित अंतरराष्ट्रीय कीमत 3.12 करोड़) के साथ एक मादक पदार्थ तस्कर जनार्दन पांडेय को गिरफ्तार किया। यह गांजा असम से लखनऊ भेजा जा रहा था। आरोपी ने बताया कि गांजा की तस्करी सेना के सामान की आड़ में की जाती थी।

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Shishir Patel
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गांजा

गांजा तस्कर गिरफ्तार ।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  एसटीएफ यूपी को अवैध मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को लगभग 12.50 कुन्टल गांजा (अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य लगभग 3.12 करोड रूपये) के साथ जनपद मऊ से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई। गिरफ्तार अभियुक्त का नाम जनार्दन पाण्डेय पुत्र जय, निवासी- गंगापुर भुलिया, बेथरा, कादीपुर सुल्तानपुर है। इनके कब्जे से गांजा के अलावा तीन मोबाइल, वाहन पेपर व बिल्टी, एक आधार कार्ड तथा 22,000 नकद बरामद किया है। 

असम राज्य से लखनऊ आ रहा था 12.50 कुंटल गांजा 

एसटीएफ उत्तर प्रदेश को विगत काफी दिनों से मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले तस्करों के सक्रिय होने की सूचनाए प्राप्त हो रहीं थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न इकाईयों व टीमों द्वारा जानकारी एकत्र की जा रही थी। इसी क्रम में सोमवार को एक एटीएफ की टीम मऊ में भ्रमणशील थी। इस दौरान सूचना प्राप्त हुई कि असम राज्य से एक वाहन में अवैध मादक पदार्थ (गांजा) छिपाकर लखनऊ भेजा जा रहा है। इस एसटीएफ की टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से बताए गए स्थान से मादक पदार्थ की तस्करी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया गया।

घरेलू सामान गांजा भरकर सेना के पदाधिकारियों के नाम से छिपका रखी थी पर्ची 

गिरफ्तार अभियुक्त ने पूछताछ में बताया कि वह असम राज्य से अलग-अलग स्थानों पर अवैध मादक पदार्थ की तस्करी करता है। छोटू निवासी सुखपुरा, जनपद बलिया ने असम के अलबरा नाम के व्यक्ति से यह गांजा लोड कराया था। लखनऊ पहुंचने पर छोटू मिलता तब यह बताता कि गाड़ी में लोड गांजा कहां पर उतारना है। उक्त गाड़ह में कुछ घरेलू सामानों को पैक करके उस पर सेना के पदाधिकारियों के नाम का पर्ची चिपका देते है साथ ही इसकी फर्जी बिल्टी भी तैयार कर लेते है, जिससे यह प्रतीत हो कि सेना के किसी अधिकारी का ट्रान्फर होने पर उनका सामान भेजा जा रहा है एवं गाड़ी के आगे "आन ड्यूटी आर्मी" का पोस्टर लगा देता है, जिससे गाड़ी को कोई रोकता नहीं है। जबकि वास्तविक रूप से सेना के किसी अधिकारी का कोई सामान इस गाडी में नहीं रहता है। इस काम के लिए इसको प्रति चक्कर 70,000/- रूपये मिलता है।

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