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पीएम मोदी के साथ सीएम योगी। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। जब किसी राज्य का मुख्यमंत्री महज दो दिनों के भीतर प्रधानमंत्री से मिले, गृहमंत्री से मिले और फिर पार्टी अध्यक्ष की भी शरण में जाए तो क्या इसे सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात माना जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने हालिया दौरे पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात की ही संज्ञा दी है लेकिन राज्य में पिछले एक पखवाड़े से जो कुछ घटित हो रहा है, उससे संकेत साफ हैं कि उत्तर प्रदेश में कुछ बड़ा होने वाला है। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष तो हाल-फिलहाल बदलना तय ही है लेकिन क्या मंत्रिमंडल में भी फेरबदल होगा, क्या कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है? तो जवाब है कि ऐसा संभव है। 2027 के चुनाव को देखते हुए भाजपा यदि कुछ कड़े कदम उठा सकती है। चुनावी तैयारियों के लिए ऐसा किया जाना न असामयिक है और न ही असंभव।
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क्या कुछ गड़बड़ है सीएम और डिप्टी सीएम में
योगी सरकार की ओर से बहुप्रचारित अयोध्या के दीपोत्सव ने इन चर्चाओं को भी बल दे दिया है कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भव्य रूप से आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में न डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दिखे और न ही ब्रजेश पाठक। यहां तक कि राज्य सरकार के विज्ञापनों में भी इन नेताओं का नाम नहीं दिखा। सूत्रों के अनुसार दीपोत्सव में इन नेताओं को निमंत्रित तो किया गया था लेकिन खुद को कम महत्व दिए जाने की वजह से दोनों उप मुख्यमंत्री अयोध्या नहीं गए। केशव प्रसाद के लिए तो यह तर्क दिया गया कि वह बिहार चुनाव में व्यस्त होने की वजह से दीपोत्सव में शामिल नहीं हुए लेकिन ब्रजेश पाठक का न पहुंचना अबूझ पहेली है। ऐन चुनाव के पहले राज्य के वरिष्ठ नेताओं की यह स्थिति देख भाजपा का असहज होना भी स्वाभाविक है। माना जा रहा है कि योगी के दिल्ली दौरे की एक वजह यह भी थी।
मोदी, शाह और नड्डा से योगी ने की मुलाकात
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दो दिन के दिल्ली प्रवास में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी और नड्डा के साथ तो उनकी मुलाकात लगभग एक घंटे की रही। इस मुलाकात करा प्रत्यक्ष कारण तो यही रहा कि मुख्यमंत्री ने जेवर एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह के लिए इन नेताओं को निमंत्रित किया। इसके अलावा उन्होंने अयोध्या में आयोजित होने वाले ध्वजारोहण समारोह के लिए भी इन नेताओं को आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद अपना फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा भी- प्रधानमंत्री जी से शिष्टाचार भेंट कर मार्गदर्शन प्राप्त किया। आपका सान्निध्य हमें कर्मपथ पर अडिग रहने की ऊर्जा देता है। हमारे लिए आपका पाथेय, नीति भी है और शक्ति भी। लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कई महीनों से अटका हुआ है। माना जा रहा है कि इसके लिए भी सहमति बनाई गई।
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दीपोत्सव को लेकर अखिलेश यादव ने कसा था तंज
दोनों डिप्टी सीएम से मनमुटाव की खबरों को देखते हुए यह जरूरी था कि स्थिति को इन नेताओं के सामने पूरी तरह स्पष्ट किया जाए। विशेष तौर पर दीपोत्सव में केशव और ब्रजेश की अनुपस्थिति को लेकर। इस मसले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी योगी पर कटाक्ष किया था। उन्होंने सोशल मीडिया के अपने हैंडिल पर दीपोत्सव के विज्ञापन को साक्षा करते हुए लिखा था-'जनता पूछ रही है कि यूपी भाजपा सरकार में 'उप मुख्यमंत्री' के दोनों पद समाप्त कर दिए गए हैं क्या… विज्ञापन में कनिष्ठ मंत्रियों के नाम तो दिख रहे हैं लेकिन डिप्टी सीएम साहब लोगों के नहीं… कहीं यहां भी 'हाता नहीं भाता' या 'प्रभुत्ववादी सोच' तो हावी नहीं हो गई। अबकी बार, डिप्टी सीएम बाहर!'
बिहार चुनाव के बाद संभव है कई स्तरों पर बदलाव
चूंकि अभी बिहार में चुनाव चल रहे हैं इसलिए आनन-फानन तो भाजपा कोई कदम नहीं उठाएगी लेकिन इसके बाद कोई बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रदेश अध्यक्ष पर भी कोई नया चेहरा तभी देखने को मिलेगा। दोनों डिप्टी सीएम और सीएम के बीच खिंची लकीर पाटने की कोशिश भी तभी की जाएगी। 2027 की चुनौती सामने है और जिस तरह से विपक्ष सरकार पर हमलावर है, उसको लेकर भाजपा रणनीतिक रूप से बदलाव अवश्य करेगी। हालिया घटनाक्रमों से यह संकेत तो स्पष्ट रूप से मिल रहे हैं।
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