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स्मार्ट मीटर से 13 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करने और उसकी एवज में उपभोक्ताओं से 6016 रुपये वसूलने के खिलाफ नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल किया। प्रस्ताव में उपभोक्ताओं से अतिरिक्त वसूले गए 13 करोड़ रुपये उन्हें वापस लौटने, प्रीपेड मीटर लगाने की प्रकिया पर रोक और कॉरपोरेशन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की। परिषद पहले ही अवमानना याचिका दाखिल कर चुका है।
पावर कॉरपोरेशन पर तानाशाही का आरोप
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने नियामक आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर विरोध प्रस्ताव सौंपा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर तानाशाही चल रही है। पावर कारपोरेशन विद्युत अधिनियम 2003 और आयोग के आदेशों का उल्लंघन करते हुए नए कनेक्शन पर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त वसूली कर रहा है।
नोटिस के बाद भी कॉरपोरेशन की मनमानी जारी
वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग ने इस मामले में 17 अक्टूबर को पावर कॉरपोरेशन को नोटिस जारी 15 दिन में जवाब मांगा है। जवाब नहीं देने पर पावर कारपोरेशन के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके बावजूद भी कॉरपोरेशन की मनमानी जारी है।
कर्नाटक का हवाला देकर नियम बनाने की मांग
परिषद अध्यक्ष ने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कि वहां उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड कनेक्शन चुनने का विकल्प दिया गया है। इसके लिए कर्नाटक रेगुलेटरी कमीशन ने एक नियमावली भी बनाई है। उत्तर प्रदेश में भी नियामक आयोग को इसी तरह का नियम बनाकर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि पावर कॉरपोरेशन की मनमानी नहीं रोक नहीं लगी तो कानूनी और आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा।
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