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मियाद बीतने के डेढ़ माह बाद भी नई बिजली दरें तय नहीं, उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन की मंशा पर उठाए सवाल

यूपी में बिजली दरें तय करने की अधिकतम मियाद बीतने के करीब डेढ़ महीने बाद भी नई दरें तय नहीं हो सकी हैं। पावर कॉरपोरेशन की दीपावली के बाद बिजली दरें 45 प्रतिशत तक बढ़ाने की तैयारी थी।

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Deepak Yadav
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अधिकतम मियाद बीतने के डेढ़ महीने बाद भी बिजली की नई दरें तय नहीं Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में बिजली दरें तय करने की अधिकतम मियाद बीतने के करीब डेढ़ महीने बाद भी नई दरें तय नहीं हो सकी हैं। पावर कॉरपोरेशन की दीपावली के बाद बिजली दरें 45 प्रतिशत तक बढ़ाने की तैयारी थी। ऐसे में प्रदेश के 3.60 करोड़ उपभोक्ताओं को कभी भी महंगी बिजली झटका लगा सकता है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस देरी को बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की साजिश करार देते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है।

सरप्लस के बावजूद बिजली दरें बढ़ाने की साजिश

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपये बकाया है। इस वित्तीय वर्ष में भी लगभग 4 हजार करोड़ बकाया निकलने की संभावना है। ऐसे में देश का कोई भी कानून बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति नहीं देता। इसके बावजूद पावर कारपोरेशन बिजली दरें 28 से 45 प्रतिशत तक बढ़ाने की साजिश कर रहा है। 

165 दिन बाद भी नई दरें तय नहीं

वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम-2003 के तहत वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) स्वीकार करने के बाद 120 दिनों के भीतर बिजली दरें घोषित हो जानी चाहिए। नियामक आयोग ने इस साल नौ मई को एआरआर स्वीकार किया था, जिसके मुताबिक नौ सितंबर तक दरें तय हो जानी चाहिए थीं। ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार 165 दिन बीतने के बाद भी दरें तय नहीं की गई हैं। इस देरी से पावर कॉरपोरेशन की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉरपोरेशन उपभोक्ताओं के बकाया की गारंटी सरकार से लेने और दरें बढ़ाने की जुगत में है। 

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

वर्मा ने कहा कि बिजली कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करने और उसकी कीमत में भारी बढ़ोतरी की गई। अब बिजली दरों को बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह बढ़ोतरी प्रदेश की जनता को लालटेन युग में धकेल देगी। परिषद अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल हस्तक्षेप कर इस प्रस्तावित बढ़ोतरी पर रोक लगाने की मांग की। 

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