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स्थल का निरीक्षण करतीं एलडीए अध्यक्ष व मंडलायुक्त डॉ रोशन जैकब Photograph: (LDA)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी में कुकरैल नदी के किनारे 24 एकड़ क्षेत्रफल में ‘उर्मिला वन’ विकसित किया जाएगा। यहां सुरक्षा के लिए फेन्सिंग को छोड़कर सिविल के कार्य नहीं कराये जाएंगे। यह वन शहर वासियों को ताजी सांस तो देगा ही। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रदेश भर में चलाये जा रहे महाअभियान में एक अलग कीर्तिमान भी स्थापित करेगा। इसके लिए यहां मियावॉकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा, जिससे सघन वन विकसित होगा। यहां रोपित किये जाने वाले पेड़-पौधों का चयन भी पर्यावरण को ध्यान में रखकर किया जाएगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) अध्यक्ष व मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने स्थल का निरीक्षण करके जरूरी दिशा-निर्देश दिये।
बफर वनीकरण से जल गुणवत्त में सुधार
एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि पेपरमिल कॉलोनी, भीखमपुर के पास कुकरैल नदी से सटी लगभग 24 एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया था। अब उस स्थान पर उर्मिला वन विकसित किया जाएगा। इससे एक तरफ तो वायु शुद्धि, छाया एवं शीतलता, मिट्टी सुधार, कटाव नियंत्रण व जैव विविधता को समर्थन मिलेगा। वहीं, दूसरी तरफ कुकरैल नदी के किनारे का बफर वनीकरण जल गुणवत्ता में सुधार, बाढ़ शमन, पर्यावास और जैव विविधता एवं जलवायु शुद्धिकरण में उपयोगी होंगे।
प्राकृतिक रूप में विकसित होगा वन
उपाध्यक्ष ने बताया कि उर्मिला वन को पूरी तरह प्राकृतिक रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए वन क्षेत्र में किसी भी तरह का सिविल वर्क नहीं कराया जाएगा और वॉकिंग ट्रेल भी कच्चे बनाये जाएंगे। सिर्फ वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए चारों तरफ वाह्य क्षेत्र में चेन लिंक फेन्सिंग का कार्य कराया जाएगा।
सिंचाई के लिए अंडरग्राउंड पाइप लाइन
वन में रोपित किये जाने वाले पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए स्थायी व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत पूरे वन क्षेत्र में अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाने का काम किया जाएगा। इसमें निर्धारित दूरी पर पॉप-अप स्प्रिंकलर लगाये जाएंगे, जिससे पौधों को नियमित रूप से पानी दिया जा सकेगा।
विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाये जाएंगे
सहायक उद्यान अधिकारी कर्ण सिंह ने बताया कि उर्मिला वन में बरगद, पीपल, पारस पीपल, पाकड़, पिलखन, आम, अमरूद, नीम, सैलिक्स, कैलामस, थ्रीविया नोडिफीलिया व गूलर आदि के पेड़ लगाये जाएंगे। इसके अलावा अर्जुना, जामुन, बांस और नदी के किनारे कैना, लोटस, वॉटर लिली, कोलकेसिया, वॉटर ल्यूटस, सालविनिया व विटिवर आदि प्रजातियों के पौधे लगाये जाएंगे, जोकि पानी में लेड की मात्रा को नियंत्रित रखेंगे।
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