Advertisment

बिजली कंपनियों ने AIDA को सदस्या शुल्क व चंदे में दिए 1.30 करोड़, नियामक आयोग पहुंचा मामला

परिषद ने लोक महत्व प्रस्ताव में कहा कि पावर कारपोरेशन जहां बिजली कंपनियों के घाटे का हवाला देकर उनका निजीकरण कर रहा है। वहीं, तीन जून को डिस्कॉम एसोसिएशन को सदस्यता शुल्क और चंदे के नाम पर उपभोक्ताओं से वसूले गए राजस्व से 21 लाख 80 हजार रुपये दिए।

author-image
Deepak Yadav
electricity privatisation up

कंपनियों ने AIDA को सदस्यता शुल्क और चंदे में दिए 1.30 करोड़ रुपये Photograph: (google)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर चल रही जोर आजमाइश के बीच करोड़ों का कथित घोटाला सामने आया है। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन (AIDA) को सरकारी बिजली कंपनियों द्वारा 1.30 करोड़ रुपये से अधिक सदस्या शुल्क व चंदा देने का आरोप लगाया है। इस मामले में परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर निजी संस्था की जांच और पावर कारपोरेशन से जवाब तलब करने की मांग की है।

उपभोक्ताओं से वसूला राजस्व निजी संस्था को दिया

परिषद ने लोक महत्व प्रस्ताव में कहा कि पावर कारपोरेशन जहां बिजली कंपनियों के घाटे का हवाला देकर उनका निजीकरण कर रहा है। वहीं, तीन जून को डिस्कॉम एसोसिएशन को सदस्यता शुल्क और चंदे के नाम पर उपभोक्ताओं से वसूले गए राजस्व से 21 लाख 80 हजार रुपये दिए। यह राशि पांचों बिजली कंपनियों के जरिए अलग-अलग दी गई। नियामक आयोग की अनुमति के बिना कुल 1 करोड़ 30 लाख 80 हजार रुपये निजी संगठन को दे दिए गए। 

यूपीपीसीएल अध्यक्ष पर पद के दुरुपयोग का आरोप

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष कुमार गोयल डिस्कॉम एसोसिएशन के महामंत्री और केंद्रीय ऊर्जा सचिव व कारपोरेशन के अध्यक्ष रहे आलोक कुमार महानिदेशक हैं। इस संस्था की कानूनी वैधता नहीं है। इसके बावजूद आशीष गोयल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए संस्था को इनती बड़ती धनराशि दिलावाई। 

चंदे का असर उपभोक्ताओं की जेब पर न पड़े

इतना ही नहीं कई निजी घराने और अन्य बिजली कंपनियां भी सदस्यता के नाम पर संस्था को करोड़ों रुपये दे रही हैं। वर्मा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति संस्था बनाने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन उसमें सरकारी बिजली कंपनियों का लाखों रुपये चंदा देना असंवैधानिक है। पावर कारपोरेशन को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि निजी संस्था को दिए गए सदस्यता शुल्क और चंदे का असर भविष्य में उपभोक्ताओं की जेब पर नहीं पड़ेगा। 

Advertisment

Electricity Privatisation | Uprvup | AIDA

यह भी पढ़ें: Crime News : बंद घर से दो सगे भाइयों के शव मिलने से सनसनी, अंदर भरा मिला कूड़ा और दुर्गंध, कुत्ते भी बंद मिले

यह भी पढ़ें: गणेशोत्सव पर लखनऊ में ट्रैफिक डायवर्जन आज से लागू,जानिए कौन-कौन से रास्ते रहेंगे बंद

यह भी पढ़ें: यूपी में चार आईपीएस अफसरों का तबादला, जानिये किसे क्या मिली जिम्मेदारी

Advertisment
Electricity Privatisation
Advertisment
Advertisment