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बिजली दरों में करीब 45 फीसदी प्रस्तावित बढ़ोत्तरी के मामले में वाराणासी में हुई जनसुनवाई Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली दरों में करीब 45 फीसदी प्रस्तावित बढ़ोत्तरी के मामले में शुक्रवार को नियामक आयोग ने वाराणसी में जनसुनवाई की। इसमें उपभोक्तों के साथ किसान, ऊर्जा और उपभोक्ता संगठन के पदाधिकारी भी शामिल हुए। सभी ने बिजली दरों में बढ़ोत्तरी और निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि प्रदेश को लालटेन युग में नहीं ले जाने देंगे। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेष कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का विभाग पर 33122 करोड़ रुपये से ज्यादा सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में बिजली दरों में 45 फीसद की कमी होनी चाहिए। इससे पहले जनसुनवाई में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक शंभू कुमार और पावर कारपोरेशन के मुख्य अभियंता ने प्रस्तावित बढ़ोत्तरी के पक्ष में अपना प्रस्तुतिकरण भी दिया। जिसका वहां विरोध हुआ।
महंगी बिजली का बोझ जनता पर
अवधेश वर्मा ने जनसुनवाई में आरोप लगाते हुए कहा निजी सेक्टर से महंगी बिजली खरीदने का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है।उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 38779 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी जाती है। इसमें सात प्रतिशत बिजली की चोरी हो रही है। इसका वित्तीय मूल्यांकन किया जाए तो पूर्वांचल में हर महीने करीब 136 करोड़ और साल में लगभग 1628 करोड़ रुपये की बिजली चोरी होती है। उन्होंने कहा कि यह पीवीवीएनएल में वर्ष 2022-23 में 80 और 2023-24 में 78 ट्रांसफार्मर जल चुके हैं। बीते दो दो साल में 10 एमवीए के 16 ट्रांसफार्मर जले हैं। उन्होंने आरोप लगाय कि विद्युत दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए निगम ने कोई ठास योजना नहीं बनाई। जिससे वर्ष 2021-22 में 203 लोग, 2022-23 में 213 लोगों की जान चल गई। वहीं वर्ष 2023-24 में 722 दुर्घटनाएं हुईं। मृतकों की सख्या नहीं बताई गई, लेकिन यह 250 से अधिक होगी।
पीवीवीएनएल का सरकारी विभागों पर 4489 करोड़ बकाया
वर्मा ने कहा कि पीवीवीएनएल का सरकारी विभागों पर तीन वर्षों का 4489 करोड़ रुपये बकाया है। जिसे सरकार क्यों नहीं दे रही है। वहीं अतिरिक्त सब्सिडी के तहत पीवीसीएनएल को प्रदेश सरकार से 8115 करोड़ रुपये मिलना है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार खुद बिजली कंपनी की देनदार है, तो घाटे का हवाला देकर निजीकरण कैसे कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों का घाटा जहां 1 लाख 10 हजार करोड़ है। वहीं, उपभोक्ताओं पर 1 लाख 15 हजार करोड़ बकाया है। अगर यह बकाया वसूल लिया जाए तो बिजली कंपनियां मुनाफे में आ सकती हैं।उन्होंने यह भी खुलासा किया कि बकाए पर भी बिजली कंपनियों ने लोन ले रखा है। इसके साथ ही अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि जो लोग घरों में छोटी दुकान चला रहे हैं, उनके लिए एक किलोवाट भार और 100 यूनिट तक खपत के लिए घरेलू श्रेणी में नई बिजली दर की स्लैब बनाई जाए।
ऊर्जा मंत्री पर परिषद अध्यक्ष का तंज
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2022-23 में 18372, 2023- 2024 में 51437 और 2024-25 में 28509 उपभोक्ताओं को बिजली का कनेक्शन 30 दिन की तय सीमा के बाद दिया गया। ऐसे में सभी को मुआवजा मिलना चाहिए था। कानून लागू होने के बावजूद भी अभी तक किसी भी उपभोक्ता को मुआवजा नहीं दिया गया। उन्होंने ऊर्जा मंत्री पर तंज कसते हुए का कि उपभोक्ता कहते हैं कि बिजली नहीं मिल रही तो वह बोलते हैं जय श्री राम... यही रामराज्य है।
निजीकरण से औद्योगिक समूहों को फायदा
अवधेश वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लान हनियां कम करने, स्मार्ट मीटर पर कुल लगभग 15963 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली कंपनियों का निजीकरण औद्योगिक समूहों को लाभ देने के लिए हो रहा है। जबकि कानूनन विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 17 के तहत सबसे पहले प्रदेश सरकार को नियामक आयोग से अनुमति लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 131, 132, 133, 134 के आधार पर पूर्वांचल और दक्षिाणांयल डिस्कॉम का निजीकरण किया जा रहा है। जबकि इस धारा को राज्य विद्युत परिषद के विघटन के समय एक बार इस्तेमाल किया जा चुका है। उन्होंने स्मार्ट मीटर लगाए जाने का भी विरोध किया। बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में प्रमुख सचिव ऊर्जा संजीव हंस जेल गए थे।
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