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लखनऊ में ईको टूरिज्म का नया केन्द्र, पुलिस मुख्यालय के पास पांच एकड़ में बनेगी फूलों की घाटी, खर्च होंगे 10 करोड़

पुलिस मुख्यालय के पास 5 एकड़ भूमि पर फ्लावर वैली बनायी जाएगी। लालबाग कार्यालय के रिकॉर्ड में रखी नजूल, ट्रस्ट व सम्पत्ति की 1.70 लाख फाइलों को डिजिटाइज किया जाएगा। मलेशेमऊ गांव में 2500 करोड़ रूपये की लागत से ग्रुप हाउसिंग विकसित की जाएगी। 

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Deepak Yadav
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पुलिस मुख्यालय के पास स्थल निरीक्षण करते एलडीए उपाध्यक्ष Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।शहीद पथ पर पुलिस मुख्यालय के पास 10 करोड़ रुपये की लागत से फूलों की घाटी (Flower Valley) बनाई जाएगी। ग्रीन बेल्ट की लगभग पांच एकड़ में विकसित की जाने वाली फ्लावर वैली में फूलदार पेड़-पौधों के साथ वॉटर बॉडी, ऑब्जर्वेशन टॉवर, स्टेप्ड लैंडस्केप, मून गेट, फ्लोटिंग आईलैंड ब्रिज होंगे। इसके लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की आर्किटेक्ट, हॉर्टीकल्चर व लैंड स्केप आर्टिस्ट की टीम से परियोजना की रूपरेखा तैयार कर ली है।

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ईको टूरिज्म का नया केन्द्र बनेगी फ्लावर वैली

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि फ्लावर वैली विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाये जाएंगे, जिनमें हर मौसम में फूल खिलेंगे। इसका आकर्षक डिजाइन व खूबसूरती लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी और यह शहर में ईको टूरिज्म का नया केन्द्र बनेगी। उन्होंने बताया कि परियोजना पर लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके अलावा पुलिस मुख्यालय के पीछे मलेशेमऊ गांव की 51 एकड़ अर्जित भूमि पर पीपीपी मोड पर लगभग 2500 करोड़ रुपये की लागत से ग्रुप हाउसिंग विकसित की जाएगी। 

4 हजार हजार परिवारों को मिलेगी आवासीय सुविधा 

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जहां लगभग चार हजार परिवारों को विश्वस्तरीय आवासीय सुविधा उपलब्ध होगी। योजना को तीन क्लस्टर में विकसित किया जाएगा। जिसमें अपार्टमेंट के कई टावर बनेंगे। इसमें एक से चार बीएचके फ्लैट व पेंट हाउस निर्मित किये जाएंगे। साथ ही ईडब्ल्यूएस व एलआईजी श्रेणी के भवन भी बनाए जाएंगे। गोमती नदी के किनारे होने से सभी अपार्टमेंट रिवर व्यू होंगे। प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए इसी महीने आरएफपी आमंत्रित कर दी जाएगी। वर्तमान में जमीन की सर्फेस ड्रेसिंग, साफ-सफाई व सड़क का काम कराया जा रहा है। 

डिजिटाइज की जाएंगी 1.70 लाख फाइलें 

लालबाग स्थित प्राधिकरण के पुराने कार्यालय में रिकॉर्ड में रखी नजूल, ट्रस्ट, मानचित्र व सम्पत्ति की 1 लाख 70 हजार फाइलों को स्कैन कराकर डिजिटाइज किया जाएगा। डिजिटाइजेशन कराने के बाद इनमें से निष्प्रयोज्य फाइलों को नियमानुसार निस्तारित होगी। इसके अलावा कबाड़ हो चुके फर्नीचर समेत अन्य वस्तुओं को नीलामी के माध्यम से डिस्पोज कराया जाएगा। रिकॉर्ड को व्यवस्थित करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों व ऑपरेटरों की ड्यूटी लगाई जाएगी। 

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