लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) में अगले साल होने वाला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अकेले लड़ने के फैसले के बाद से राजनीतिक उठापटक चल रही है। पार्टी के पदाधिकारियों के बाद अब विधायक भी अपनी उपेक्षा से नाराज हैं। ऐसे में पार्टी में अंदरूनी कलह के चलते बगावत के सुर तेज हो गए हैं। इससे प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायत चुनाव में अपना दल एस को नुकसान और भाजपा को फायदा मिल सकता है।
विधायक ने खोला मोर्चा
अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल बैठक के लिए सिद्धार्थनगर गए थे। शोहरतगढ़ से विधायक विनय वर्मा को बैठक में नहीं बुलाया गया। पार्टी के पोस्टर में उनका नाम भी नहीं था। इस पर विधायक की नाराजगी सामने आई। विनय वर्मा ने बिना नाम लिए मंत्री आशीष पटेल पर भी निशाना साधा। कहा कि मेरे देवता मेरी जनता है। कोई मेरा या स्वर्णकार समाज का अपमान करेगा, तो जवाब जनता देगी।
प्रतापगढ़ से शुरू हुए बगावत के सुर
पार्टी में बगावत की शुरुआत प्रतापगढ़ से हुई थी। व्यापार मंच के प्रदेश सचिव प्रज्ञा कुमार सिंह समेत छह पदाधिकारियों ने पद से इस्तीफा देकर पार्टी में खलबली मचा दी थी। हालांकि उस समय प्रदेश अध्यक्ष ने स्थिति संभालने के लिए प्रतापगढ़ पहुंचकर डैमेर कंट्रोल की कोशिश की थी। मगर मामला ठंडा नहीं हुआ था। जब उनकी बातों को भी दरकिसान किया गया तो राज कुमार पाल ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था।
मंचों के राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित
अपना दल (एस) ने आठ मंचों के राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिए हैं। इनमें मिर्जापुर के रामबली सिंह को किसान मंच और प्रयागराज के डॉ. केके सिंह को चिकित्सा मंच का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा कानपुर निवासी विजय चौरसिया को युवा मंच, झांसी की दीपमाला कुशवाहा को महिला मंच, सोनभद्र के अभिषेक चौबे को विधि मंच, चंदौली के प्रभात बरौझी को सहकारिता मंच, कानपुर के एसपी कुरील को अनुसूचित जाति व जनजाति, जौनपुर के हौसिला प्रसाद पाल को बौद्धिक मंच का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है।
अनुप्रिया पटेल योगी सरकार पर रहती हैं हमलावर
अपना दल एस की प्रमुख और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल योगी सरकार के खिलाफ अकसर हमलावर रहती हैं। उन्होंने आउटसोर्सिंग में आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति में भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों की पैरोकारी की थी। हाईकोर्ट ने आरक्षण की विसंगतियां दूर कर नए सिरे से मेरिट सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इस पर अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि अन्याय का शिकार हुए आरक्षित श्रेणी के शिक्षक अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश सरकार न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए।
अपना दल एस एनडीए के साथ गठबंधन का सफर
अपना दल एस ने 2012 के विधानसभा चुनाव में दो सीटें थीं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन किया और 11 में नौ सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनावों में एनडीए गठबंधन का हिस्सा रहते पार्टी ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए 12 सीटों पर कब्जा जमाया। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनावों में इस पार्टी के बैनर तले अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर से तो पकौड़ी लाल रॉबर्ट्सगंज सीट से जीत हासिल की थी। अनुप्रिया ने 70 से अधिक कुर्मी और ओबीसी बहुल सीटों पर भाजपा के लिए प्रचार किया। ऐसे में अपना दल एस में नेताओं की बगावत से कुर्मी मतदाता आगामी चुनावों में भाजपा के साथ आ सकते हैं।
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