महाकुंभ नगर, वाईबीएन नेटवर्क।
महाकुंभ में मौनी अमावस्या को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आज शाम करीब सात बजे से मौनी अमावस्या शुरू होगी, जो बुधवार शाम करीब छह बजे तक रहेगी। महाकुंभ में यह दिन सबसे महत्व वाला है। माना जा रहा है मौनी अमावस्या पर एक ही दिन में करीब 15 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे। अब तक 15 दिन में करीब इतने ही श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। अगर आप भी अमृत स्नान करने महाकुंभ नगर पहुंच रहे हैं तो मानकर चलिए कि आपको को करीब 10 से 15 किमी तक पैदल चलना होगा। महाकुंभ नगर व्हीकल फ्री जोन बनाया गया है।
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जानिए मौनी अवामस्या पर स्नान का महत्व
यूं तो हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि अपने आप में महत्वपूर्ण है ही लेकिन मौनी अमावस्या का महत्व सबसे ज्यादा है। हर माह आमावस्या तिथि पर गंगा स्नान करना बहुत फलदायी माना जाता है, लेकिन माघ माह की आमावस्या यानि मौनी अमावस्या को स्नान करना कहीं अधिक फलदायी होता है। ऐसे में 144 साल बाद आए महाकुंभ 2025 में मौनी आमास्या के पवित्र अवसर पर स्नान के मायने कितने महत्वपूर्ण हो जाते हैं, आप समझ सकते हैं। मतलब, अगर आप महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान करेंगे तो यह अत्यंत फलदायी होने वाला है। इस खास दिन को अमृत योग दिवस माना जाता है।
मौन रहने का भी दिन है मौनी अमावस्या
इस अमृत योग दिवस पर मौन रहने का भी बड़ा महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखा जाता है। मौन रहते हुए इस दिन सूर्यदेव और पितरों की आराधना सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। अमावस्या की तिथि मंगलवार शाम 7 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और बुधवार शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। क्योंकि मौनी अमावस्या का दिन बुधवार रहेगा, स्नान का शुभ मुहूर्त बुधवार सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर, 18 मिनट का सबसे अच्छा माना गया है। यानि ब्रह्म मुहूर्त में 6 बजकर 18 मिनट तक स्नान कर लें तो सबसे ज्यादा फलदायाी होगा। दान-पुण्य का काम उसके बाद भी कर सकते हैं।
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मौनी अमावस्या पर स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है
माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान, ध्यान और दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस खास दिन पर गंगा जल को अमृत के समान माना जाता है। इसलिए आप महाकुंभ नहीं भी जा पा रहे हैं तो शुभ मुहूर्त में कहीं भी गंगा स्नान कर लें। यदि गंगा नदी पर जाना संभव न हो रहा हो तो आसपास किसी अन्य नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। यदि ऐसा करना भी संभव न हो तो घर में ही अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाना न भूलें। स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें। इस अवसर पर तुलसी और पीपल की पूजा करना भी फलदायी माना जाता है। अपने पितरों का ध्यान करते हुए किसी जरूरतमंद को अपनी सामर्थ्य के मुताबिक दान करें।