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Photograph: (google )
महाकुंभ की चर्चा भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है, इसी बीच एप्पल कंपनी के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स कुंभ में हिस्सा लेने प्रयागराज पहुंचीं। आपको बता दें कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स का पहले से ही सनातन धर्म के प्रति झुकाव रहा है।
आपको बता दें कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स के आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद महाराज हैं, प्रयागराज पहुंचने के बाद पॉवेल सबसे पहले अपने गुरु के यहां गईं, खबरों के मुताबिक वह वहां कल्पवास करेंगी और साधुओं की तरह सामान्य जीवन व्यतीत करेंगी।
शनिवार को वह प्रयागराज में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि के आश्रम पहुंचीं। वह 15 जनवरी तक शिविर तक रहेंगी और उसके बाद वह अमेरिका लौटकर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगी। लॉरेन अपनी 40 सदस्यीय टीम के साथ शनिवार रात प्रयागराज पहुंचीं।
पॉवेल को मिला हिंदू नाम और गोत्र
इस मामले पर स्वामी कैलाशानंद महाराज जी ने कहा कि पॉवेल मुझे अपने पिता की तरह मानती हैं और मैं उन्हें अपनी बेटी की तरह मानता हूं, इसलिए उन्हें मेरे गुरु का गोत्र दिया गया है। लॉरेन पॉवेल को अच्युत-गोत्र दिया गया है। महाराज जी ने बताया कि लॉरेन पॉवेल की सनातन धर्म में गहरी रुचि है, जिसके चलते वह हिंदू रीति-रिवाजों को समझना और जानना चाहती हैं।
लॉरेन पॉवेल के कुंभ दौरे को लेकर स्वामी कैलाशानंद ने कहा था, "वह अपने गुरु से मिलने यहां आ रही हैं। हमने उनका नाम कमला रखा है और वह हमारी बेटी की तरह हैं। यह दूसरी बार है जब वह भारत आ रही हैं। कुंभ में सभी का स्वागत है।"
अखाड़े की पेशवाई रस्म से होंगी शामिल
स्वामी कैलाशानंद महाराज जी ने कहा कि वह ध्यान करने के लिए भारत आई हैं। उन्हें अखाड़े की पेशवाई रस्म से शामिल किया जाएगा। इस दौरान पॉवेल संन्यासी की तरह रहेंगी और ध्यान करेंगी। वह 14 जनवरी को अमृत स्नान और 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान करेंगी।