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Mahakumbh 2025: बिछुड़ने के लिए नहीं, पुनर्मिलन के लिए याद किया जाएगा महाकुंभ, 20 हजार से ज्यादा लोग अपनों से मिले

अब तक आपने कुंभ में बिछुड़ने की कहानियां सुनी होंगी, लेकिन महाकुंभ ने परसेप्शन को बदलने का काम किया है, यह महाकुंभ बिछुड़ने के लिए नहीं, पुनर्मिलन के लिए याद किया जाएगा। 

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Dhiraj Dhillon
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डिजिटल खोया-पाया केंद्र

डिजिटल खोया-पाया केंद्र Photograph: (Google)

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महाकुंभ नगर, 15 फरवरी (आईएएनएस)। 
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अब तक आपने कुंभ में बिछुड़ने की कहानियां सुनी होंगी। इस पृष्ठभूमि पर बॉलीवुड में एक दर्जन से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं। तकदीर, अधिकार, मेला, धर्मात्मा, दो अनजाने, अमर अकबर एंथनी, अंदाज अपना अपना, सोल्जर और लक्ष्मी बॉम्ब, कुछ ऐसी फिल्में हैं जो कुंभ मेले की पृष्ठभूमि अपने में समेटे हुए हैं और अधिकतर में कुंभ में दो भाईयों के बिछुड़ने बात आती है, लेकिन महाकुंभ ने परसेप्शन को बदलने का काम किया है, यह महाकुंभ बिछुड़ने के लिए नहीं, बल्कि पुनर्मिलन के लिए याद किया जाएगा। 
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डिजिटल खोया- पाया केंद्रों ने बदला परसेप्शन 

महाकुंभ अपने भव्य स्वरूप और 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति के साथ ही कई मामलों ऐतिहासिक आयोजन बन चुका है। इस दिव्य आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने कई अनुकरणीय पहल की है। महाकुंभ में योगी सरकार ने डिजिटल खोया पाया केंद्रों की स्थापना कर परसेप्शन बदलने का काम किया है। महाकुंभ में बनाए गए डिजिटल खोया पाया केंद्र अब तक 20 हजार से अधिक खोये हुए श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलवाने का काम किया है।
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महिलाओं की संख्या अधिक रही

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144 साल बाद पुण्य संयोग में आयोजित हो रहे इस बार के महाकुंभ के विराट मेले में अपनों से बिछड़े हुए कुल 20,144 लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में योगी सरकार की इस पहल को बड़ी सफलता मिली है। खास बात यह है कि इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की रही। यही नहीं पुलिस ने देश के विभिन्न राज्यों और नेपाल से आए श्रद्धालुओं को उनके परिवारों से सफलतापूर्वक पुनर्मिलन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भगदड़ के दौरान भटके 8,725 श्रद्धालुओं को मिलवाया

अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दौरान (28, 29 और 30 जनवरी) को भीड़ का प्रबंधन करते हुए डिजिटल खोया-पाया केंद्रों ने खोए हुए सभी 8,725 लोगों को उनके परिवार के सुपुर्द करने का दावा किया है। इसी प्रकार मकर संक्रांति पर्व (13, 14 और 15 जनवरी) को खोए हुए 598 श्रद्धालु और बसंत पंचमी (2, 3 और 4 फरवरी) को 813 श्रद्धालुओं को डिजिटल खोया-पाया केंद्र की मदद से उनके परिजनों से मिलवाया गया।

सामान्य दिनों में खो गए थे 10 हजार श्रद्धालु

इसके अलावा अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में खोए हुए 10 हजार से अधिक लोगों का भी उनके परिवारों के साथ पुनर्मिलन कराया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 7 दिसंबर 2024 को डिजिटल प्रणाली के जरिए खोया-पाया केंद्रों का शुभारंभ किया था। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने पुलिस प्रशासन और मेला प्राधिकरण को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी श्रद्धालु को परेशानी न हो। इसी के तहत 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए, जो संगम, झूसी, अरैल, फाफामऊ में सेक्टर 3, 4, 5, 8, 9, 21, 23, 24 और प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास स्थित हैं।

एआई से मिली कामयाबी, यूनिसेफ ने भी मदद की

डिजिटल खोया-पाया केंद्रों में अत्याधुनिक एआई आधारित चेहरा पहचान प्रणाली, मशीन लर्निंग और बहुभाषीय समर्थन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इससे मेला क्षेत्र में बिछड़े हुए श्रद्धालुओं को तेजी से उनके परिवारों से मिलाया जा सका है। डिजिटल खोया-पाया केंद्रों में उत्तर प्रदेश पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की अहम भूमिका रही। इसमें यूनिसेफ सहित कई गैर-सरकारी संगठनों ने भी सक्रिय योगदान दिया।

सुविधाओं के साथ हेल्पलाइन नंबर भी जानिए

मुख्यमंत्री योगी के निर्देशों के तहत इन केंद्रों पर प्रतीक्षा कक्ष, चिकित्सा कक्ष, शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, ताकि पुनर्मिलन प्रक्रिया के दौरान किसी भी व्यक्ति को असुविधा न हो। सीएम योगी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सेवा और सुशासन का भी प्रतीक बने। इसी के तहत डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की गई है। किसी भी प्रकार की सहायता के लिए श्रद्धालु नजदीकी डिजिटल खोया-पाया केंद्र से संपर्क कर सकते हैं या आधिकारिक हेल्पलाइन 1920 पर कॉल कर सकते हैं।
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