महाकुंभनगर , वाईबीएन नेटवर्क।
धर्म संसद में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने गोरक्षा को लेकर न केवल गंभीर चिंता जाहिर की है बल्कि इस सवाल पर वर्तमान सरकार को समर्थन न करने का ऐलान भी कर डाला। शंकराचार्य के द्वारा सोमवार को किए गए इस ऐलान के बाद सियासी गलियारों में फुसफुसाहट शुरू हो गई है। शंकराचार्य ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गोरक्षा के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं और इस स्थिति में हम 2027 विधानसभा चुनाव में इस सरकार का समर्थन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि गोरक्षा को प्राथमिकता देने वाली राजनैतिक व्यवस्था पर विचार करने की जरूरत है और विचार किया भी जा रहा है।
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धर्म संसद को दिया गया गोसंसद का नाम
धर्म संसद के लिए गौरक्षा का सवाल कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धर्म संसद को "गोसंसद" का नाम भी दिया गया है। शंकराचार्य ने गोरक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए देश और प्रदेश में गायों की हत्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है। शंकराचार्य ने गोहत्या को रोकने और गोरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया और स्पष्ट कहा कि हमें ऐसी ही राजनैतिक व्यवस्था तैयार करनी है जो गोरक्षा के मामले में गंभीर हो।
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सनातन धर्म को लेकर शंकराचार्य का चिंतन
प्रयागराज महाकुंभ में धर्म संसद का आयोजन उत्तराखंड स्थित ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नेतृत्व में हो रहा है। धर्मसंसद में गोरक्षा के साथ ही सनातन धर्म की परंपराओं और संस्कृति से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार विमर्श चल रहा है। धर्म संसद में पूरी दुनिया से सनातन धर्म के धर्मासद पहुंचे हैं। यह सदन जो प्रस्ताव पास करेगा उन्हें "परमादेश" का नाम दिया जाएगा। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म मनुष्य को आत्मोन्नति के मार्ग पर ले जाता है।
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शंकराचार्य ने धर्म के उद्देश्य पर क्या कहा
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मनुष्य का स्वभाव पानी की तरह होता है, वह स्वाभाविक रूप से नीचे गिरता है और धर्म का उद्देश्य मनुष्य को गिरने से बचाना है। उसके आचरण को ऊंचा उठाना है। शंकराचार्य ने बताया कि मोक्ष जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति है। उन्होंने देवी-देवताओं और ईश्वर के बीच अंतर पर भी प्रकाश डाला और कहा कि देवता इच्छाओं की पूर्ति के लिए शक्ति प्रदान करते हैं, जबकि ईश्वर पूरी सृष्टि का संचालन करता है।
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गंगा स्नाान से धुल जाता है मन का मैल
शंकराचार्य ने महाकुंभ के स्नान का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा कि गंगा का जल केवल शरीर ही नहीं, बल्कि मन के मैल को भी धोने में समर्थ है, इसलिए गंगा स्नान का अलग ही महत्व है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में किसी एक व्यक्ति के अधीन संपूर्ण व्यवस्था नहीं है। यह सिद्धांत सार्वभौमिक और सर्वकालिक है, यही कारण है कि हिंदू धर्म सभी धर्मों में सर्वोच्च माना जाता है।