मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता। प्रदेश सरकार द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर बनाए गए रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) बदहाली की कगार पर पहुँच गए हैं। जिले में कुल 591 आरआरसी सेंटर बनाए जाने थे, लेकिन वर्तमान में मात्र 100 सेंटर ही क्रियाशील हैं। बाकी 491 सेंटर जमीनी हकीकत बयां कर रहे हैं, जिन पर अब घास फूस उग आई है और वे बंद पड़े हुए हैं।
रविवार को उप निदेशक पंचायती राज अभय कुमार यादव ने सेंटरों का निरीक्षण करने के बाद स्थिति पर नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि अधिकांश सेंटरों पर ताले जड़े हुए हैं, कई जगहों पर रंग-रोगन उतर चुका है और घास फूस के कारण सेंटरों का मूल स्वरूप ही छिप गया है। कुछ ग्राम पंचायतों में तो अब तक सेंटर के लिए जगह तक निर्धारित नहीं हो पाई है।
जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए
उन्होंने बताया कि एक आरआरसी सेंटर की निर्माण लागत लगभग 4 से 6 लाख रुपये आती है, बावजूद इसके जिले में इनकी उपेक्षा की जा रही है। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए उप निदेशक ने जिला कंसल्टिंग इंजीनियर सुधीर कुमार को नोटिस जारी कर स्थिति सुधारने के निर्देश दिए हैं।
नोटिस में एक महीने के भीतर सभी बंद आरआरसी सेंटरों को चालू करने का अल्टीमेटम दिया गया है। तय समय सीमा के भीतर कार्रवाई न होने की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई है। प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना का यह हाल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बनता जा रहा है, जिसका खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान की विफलता के रूप में सामने आ सकता है।
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