Advertisment

पशुपालन विभाग: करोड़ों खर्च के बाद भी पॉलीक्लीनिक को नहीं मिला डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ

राजनेताओं और नौकरशाही का जितना जोर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन व मशीनों की खरीद पर रहता है, उतना जोर अगर कर्मचारियों की भर्ती पर रहता तो आज मुरादाबाद के पशुपालन विभाग का पॉली क्लीनिक खंडहर में तब्दील न हो रहा होता।

author-image
Anupam Singh
fgh

पशुओं के इलाज के लिए करोड़ों की लागत से बना पॉलीक्लीनिक डॉक्टरों के अभाव में खंडहर में हो रहा तब्दील।

मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

Advertisment

राजनेताओं और नौकरशाही का जितना जोर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन व मशीनों की खरीद पर रहता है, उतना जोर अगर कर्मचारियों की भर्ती पर रहता तो आज मुरादाबाद के पशुपालन विभाग का पॉली क्लीनिक खंडहर में तब्दील न हो रहा होता। हमारे कृषि प्रधान देश में पशुओं को पशुधन बताया गया है,क्योंकि पशुधन से एक बहुत बड़ा तबका का जुड़ा हुआ है और उसकी रोजी-रोटी चलती है। आज के दौर में पशुओं की कीमत भी लाखों में होती है, जिस तरह से मानव बीमार होता है। ठीक उसी तरह से हमारे पशु भी बीमार होते हैं।

यह भी पढ़ें: Moradabad: वार्ड-28 जिम्मेदारों की अनदेखी का हो रहा शिकार

मनुष्यों की तरह पशुओं के इलाज की बेहतर व्यवस्था के लिए मुरादाबाद में बंगला गांव के पास पशुपालन विभाग के एडनिशल डायरेक्टर के आफिस परिसर में मंडल का एक मात्र पॉलीक्लीनिक 2020 में बनवाया गया। करोड़ों की लागत से बने इस पशुपालन विभाग के पॉलीक्लिनिक में सारी सुविधाएं तो मौजूद हैं। मगर डॉक्टरों व नर्सिंग स्टॉफ की तैनाती नहीं है। इस वजह से यह पॉलीक्लिनिक बेजान सा हो रखा है। पिछले दिनों जिलाधिकारी ने यहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से पॉलीक्लिनिक के बारे में रिपोर्ट मांगी और उन्हें निर्देशित किया कि पॉलीक्लिनिक का संचालन जल्द से जल्द किया जाए, जिससे मुरादाबाद जिले के पशुओं को इसका लाभ मिल सके। मगर पशुपालन विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपने हाथ खड़े कर दिए।

Advertisment

ेमतजीरा

उन्होंने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि इस पॉलीक्लिनिक को चलाने के लिए विभाग के स्तर से किसी भी तरह के पद का सृजन नहीं किया गया है। इस पर जिलाधिकारी ने उन्हें प्रस्ताव बनाने के लिए निर्देशित किया। बहरहाल मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने प्रस्ताव बनाकर जिलाधिकारी को दे दिया और जिलाधिकारी ने भी इस प्रस्ताव को शासन में भेज दिया। प्रस्ताव को भेजे हुए करीब दो साल गुजर गए । इस दौरान पशुपालन विभाग के कई निदेशक भी बदल गए। बावजूद इसके अभी तक पॉलीक्लिनिक के लिए किसी तरह के पद का सृजन नहीं किया गया। 

यह भी पढ़ें: समाज कल्याण विभाग: सरकार की आंख बेमिसाल, मुर्दों को दिखा रही जिंदा, लुट रहा सरकारी खजाना

Advertisment

इन पदों की है जरूरत 

पॉलीक्लिनिक में एक रेडियोलॉजिस्ट होना चाहिए, जिससे वह पशुओं का एक्स-रे कर सके। इसी तरह पशु चिकित्सा अधिकारी होना चाहिए, जो पशुओं के बेहतर दवा दे सके। इसके अलावा एक सर्जन डॉक्टर की भी यहां पर जरूरत है जो जरूरत पड़ने पर पशुओं का ऑपरेशन भी कर सके। पशुओं को दवा मिल सके। इसके लिए इस पॉलीक्लिनिक में एक सरकारी मेडिकल स्टोर भी होना जरूरी है, जिससे पशुधन को बचाने के लिए दवा मुफ्त उपलब्ध कराई जा सके। 

 यह भी पढ़ें:  मुरादाबाद में भाजपा के फायर ब्रांड नेता संगीत सोम का अखिलेश यादव पर  हमला

Advertisment

क्या कहते हैं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी 

मुरादाबाद जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कंसल ने बताया कि पॉलीक्लिनिक के संचालन के लिए प्रस्ताव जिलाधिकारी के माध्यम से शासन में लंबित है जब वहां से पदों का सृजन हो जाएगा। तब ही पॉलीक्लिनिक मुरादाबाद के पशुपालकों के लिए उपयोगी साबित होगा।

यह है जिले में पशुओं की स्थिति

वर्ष साल 2012 में हुई पशुगणना के मुताबिक मुरादाबाद जिले में कुल पशुओं की संख्या 5,32,153 थी। इनमें भैंसों की संख्या 2,71,192 और गायों की संख्या 1,53,121 थी। इसके अलावा अन्य पशु शामिल हैं। 

Advertisment
Advertisment