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कहते हैं सरकारी विभाग के कर्मचारी कागजों पर कुछ भी बेच सकते है यह हम नहीं कह रहे है बल्कि बैंक खाते खुद चीख चीख कर बोल रहे हैं, कि आओ उठो मुर्दों श्मशान से और अपने बैंक खाते से वृद्धा पेंशन निकाल ले जाओ। सरकार कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए भले ही कितने मजबूत कदम उठा रही हो लेकिन सरकारी अधिकारी कागजों पर तो सरकार को लचीला कर ही देते हैं।
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मामला मुरादाबाद से जुड़ा है जहां सोलह सौ अट्ठानवे (1698) लोगों की मृत्यु हो चुकी है और वृद्धा पेंशन उनके खातों पर सरकारी अधिकारियों के द्वारा निरंतर रूप से जारी की जा रही है। बैंक के खाते खुद परिवार जनो को आवाज लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम तो मर चुके हैं लेकिन सरकारी अधिकारियों ने हमें कागजों में जिंदा रखा हुआ है। भगवान भी सरकारी अधिकारियों की करतूतें देखकर हैरान है कि मौत और जिंदगी जब मेरे हाथों में हैं फिर यह कागजात में इनको मरा हुआ क्यों घोषित नही कर पा रहा हूं।
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सवाल सरकार पर नहीं है बल्कि उन प्रशासनिक अधिकारियों पर है जो जिन्दगी और मौत का खेल सरकारी कागजों पर खेल रहे हैं।आखिरकार कब आलाधिकारियों की नजर इन भ्रष्ट अधिकारियों पर पड़ेगी ओर कब ये कानून के शिकंजे में आयेंगे या ऐसे ही मृतकों को जिन्दा दिखाकर सरकार की आंखों में धूल झोंककर भ्रष्टाचार को चरम पर पहुंचाते रहेंगे। वहीं मामले पर जानकारी देते हुए समाज कल्याण विभाग के अधिकारी शैलेन्द्र ने बताया कि 2024-25 में सत्यापन कराया है,जनपद में 1698 पेंशन धारक ऐसे मिले हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है,बैंक से बात करके उनके खातों पर रोक लगा दी गई है। हर वर्ष शासनादेश के बाद सत्यापन प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। क्षेत्र में मौजूद कई शाखा प्रबंधकों के द्वारा भी सूचना दी गई थी जिसके बाद 1698 लोग चिन्हित किए गए।