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Moradabad: बीईओ ने बताया कार्रवाई को एकतरफा,आरोप लगाने वाले ड्रेस घोटाले में शामिल

Moradabad: खंड शिक्षा अधिकारी के अनुसार, विभागीय कार्रवाई उन महिला शिक्षकों की शिकायत पर हुई, जिनके विरुद्ध स्वयं उन्होंने पूर्व में जांच की थी। उन्होंने बताया कि महिला शिक्षक मेघा वर्मा के खिलाफ लंबे समय से अनुपस्थित रहने की शिकायत की गई थी।

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shivi sharma
वाईबीएन

Photograph: (moradabad )

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 मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता।  देहात खंड शिक्षा अधिकारी वेगीश गोयल ने विभागीय कार्रवाई को एकपक्षीय करार देते हुए जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच टीम ने न केवल उनके पक्ष को अनसुना किया बल्कि उनके द्वारा दिए गए साक्ष्यों को भी जांच में शामिल नहीं किया गया।

ड्रेस खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगा था

खंड शिक्षा अधिकारी के अनुसार, विभागीय कार्रवाई उन महिला शिक्षकों की शिकायत पर हुई, जिनके विरुद्ध स्वयं उन्होंने पूर्व में जांच की थी। उन्होंने बताया कि महिला शिक्षक मेघा वर्मा के खिलाफ लंबे समय से अनुपस्थित रहने की शिकायत की गई थी, जिसकी जांच कर तत्कालीन बीएसए को रिपोर्ट भेजी गई थी। इसी आधार पर उनका निलंबन हुआ था। वहीं दूसरी शिक्षक सीमा गहलौत के संबंध में कोरोना काल के दौरान पीपल साना प्राथमिक विद्यालय सेकंड में ड्रेस घोटाले की शिकायत की गई थी। खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि सीमा गहलौत और प्रधानाध्यापक सुमित चौहान पर ड्रेस खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगा थ। जिसकी जांच स्वयं उन्होंने की थी। उन्होंने कहा कि जांच में दोनों को दोषी पाया गया और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई थी।

राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्तता की शिकायत की थी

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुमित चौहान और सीमा गहलौत दोनों पहले से शादीशुदा हैं, इसके बावजूद दोनों ने आपस में मंदिर में विवाह कर लिया। यह कर्मचारी आचरण नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन है। इस मामले में गवाह रहे सतीश नामक शिक्षक ने तस्वीरें और अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए थे, जिन्हें खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच में शामिल कर शिक्षा निदेशालय को भेजा था। वेगीश गोयल ने बताया कि उन्होंने चुनाव के दौरान भी सुमित चौहान के बड़े-बड़े होर्डिंग लगने और राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्तता की शिकायत की थी, जिसकी पुष्टि भी जांच में हुई थी। इसके बावजूद, जांच समिति ने उनके पक्ष को नजरअंदाज कर कार्रवाई की, जो न्यायसंगत नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा कि यदि शिक्षा निदेशक स्तर पर भी उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे न्यायालय की शरण लेंगे।

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