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दारुल उलूम देवबंद Photograph: (MORADABAD )
मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता। दारुल उलूम देवबंद की ओर से पुराने फतवे को एक बार फिर जारी किया है। जिसमे मुस्लिम महिलाओं को गैर मर्दों से मेहंदी लगवाना चूड़ी पहनना हराम बताया गया है।साथ ही इस कृत्य को शरीयत के खिलाफ बताया गया है। इसको लेकर मुस्लिम महिलाओं ने मिली जुली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दीनी एतबार से फतवा सही है, लेकिन दुनियावी एतबार से गलत है।
पर्दे के दायरे में रहकर ये काम कर लेना चाहिए
शादी विवाह में मुस्लिम लड़कियां मेहंदी लगवाती हैं। जिसे मेहंदी डिजाइन करने वाला ही कर सकता है। तो वहीं दूसरी महिला का कहना था कि देखिए मेरा मानना ये है कि हमारा इस्लाम चार इमाम से चलता है। अगर दारूल उलूम देवबंद ने ये फतवा जारी किया है तो यह शरीयत के एतबार से सही है। हमें इसे मानना चाहिए। हम चाँद पर पहुँच गए हैं, हमें अगर गैर मर्द से मेहंदी लगवानी है या फिर चूड़ी पहननी हैं तो पर्दे के दायरे में रहकर ये काम कर लेना चाहिए।
मुस्लिम नेत्री जीनत चौधरी ने इस फतवे को लेकर साफ कहा है कि मैं दारूल उलूम देवबंद के उलेमाओं की इज्जत करती हूं, लेकिन उन्हें महिलाओं को लेकर फतवे देने की बीमारी है। लड़की घर से बाहर निकलती है तो वह स्कूल में मास्टर से पढ़ती है। ऑफिस में जॉब करती है,वक्त के साथ मौलानाओं को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए। मौलानाओं को ऐसे फतवे नहीं देने चाहिए। दुनिया आगे बढ़ रही है। मेहंदी डिजाइन करने वाला भी मेहंदी लगाकर अपनी रोज़ी रोटी कमाता है।
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दारुल उलूम देवबंद के मुस्लिम महिलाओं को गैर मर्दो से मेहंदी लगवाने को हराम करार दिए जाने पर मेहंदी कलाकार सौरभ गोला ने कहा है कि कला को किसी धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। हम किसी भी ग्राहक से उसका नाम और धर्म नहीं पूछते हैं। हमें सिर्फ अपनी कला से मेहंदी लगते हैं। ऐसे फतवे देना गलत है।
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