मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता। जिला अस्पताल मुरादाबाद में हर महीने औसतन 14,500 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की है। खासतौर से बच्चों में कुपोषण की समस्या तेजी से उभर रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह खून की कमी (एनीमिया) है, जो बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास पर गंभीर असर डाल रही है।
9,000 से ज्यादा महिलाएं और बच्चे इलाज के लिए आते हैं
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार अस्पताल में पहुंचने वाले बच्चों में से लगभग 40 प्रतिशत का वजन और लंबाई उम्र के अनुसार कम पाई जाती है। यह सीधे तौर पर कुपोषण और एनीमिया की ओर इशारा करता है। जिला अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि ओपीडी में हर महीने करीब 9,000 से ज्यादा महिलाएं और बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इनमें अधिकांश मामलों में खून की कमी देखी जा रही है।
गर्भवती महिलाओं से लेकर नवजात तक प्रभावित
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी और आयरन की भारी कमी के कारण जन्म लेने वाले बच्चे भी पहले दिन से ही कुपोषण की गिरफ्त में आ जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यदि गर्भवती महिला एनीमिया से पीड़ित होती है, तो नवजात को भी शुरुआत से ही पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
सरकारी योजनाओं का लाभ सीमित
राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कुपोषण से निपटने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां, अन्न प्राशन कार्यक्रम, पोषण मिशन, टीएचआर वितरण आदि शामिल हैं। लेकिन इन योजनाओं का लाभ सीमित वर्ग तक ही पहुंच पा रहा है। कई बार पोषाहार की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने मांगी रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में विशेष रिपोर्ट तलब की है। जिला अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे पोषाहार वितरण, एनीमिया जांच और उपचार की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में विशेष पोषण जागरूकता अभियान चलाने की योजना भी बनाई जा रही है।
विशेषज्ञों की राय
बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है, “बच्चों में कुपोषण का मूल कारण एनीमिया है। जब शरीर में खून की कमी होती है तो रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है और बच्चा बार-बार बीमार पड़ता है। समय रहते इलाज न होने पर यह स्थिति गंभीर हो सकती है।
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