मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता। ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों का ब्यौरा दर्ज करने वाली एमबी बुक (मैनेजमेंट बुक) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पंचायती राज विभाग ने अब ग्राम पंचायतों में इस्तेमाल होने वाली एमबी बुक की बिक्री का काम जिला कार्यालय से शुरू कर दिया है। जबकि शासनादेश के मुताबिक, इन बुक्स की खरीद ग्राम पंचायत स्तर पर सचिवों द्वारा की जाती रही है।
मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) सुमित यादव ने ग्राम पंचायतों में लेखा-जोखा एक समान रखने के लिए एक जैसी एमबी बुक रखने का अनुमोदन किया था। इसी के तहत जिला पंचायत राज अधिकारी ने 643 ग्राम पंचायतों के लिए आकस्मिकता धनराशि (कंटीजेंसी) से एमबी बुक्स की खरीद कर ली है और अब सचिवों पर इन्हें जिला कार्यालय से लेने का दबाव बनाया जा रहा है। अभी तक सचिवों को स्टेशनरी की खरीदारी के लिए मिलने वाली आकस्मिक धनराशि से एमबी बुक्स खरीदी जाती थीं। लेकिन इस बार जिला पंचायत राज अधिकारी ने जिला कंसलटेंट अधिकारी सुधीर कुमार के जरिए एमबी बुक की खरीद व वितरण का जिम्मा संभाल लिया है। इसके लिए अवर अभियंताओं को भी उनके साथ तैनात किया गया है।
सचिवों में असमंजस, अधिकारियों में तकरार
बिलारी के एडीओ पंचायत दुजेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक 98 ग्राम पंचायतों में एमबी बुक्स पहुंची हैं। उन्होंने बताया कि सचिवों को अपनी आकस्मिक धनराशि भी जिला कार्यालय के निर्देशानुसार खर्च करनी होगी, जिससे सचिवों में असमंजस की स्थिति है। वहीं, छजलैट के एडीओ पंचायत इरफान मलिक ने कहा कि सोमवार तक उनके विकास खंड में एमबी बुक नहीं पहुंची है।
मुख्य विकास अधिकारी सुमित यादव ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल एमबी बुक्स की समानता के लिए अनुमोदन दिया था, लेकिन किस स्तर से खरीदी जाएगी, इसके लिए कोई विशेष निर्देश नहीं दिए गए हैं। उन्होंने यह जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिवों पर ही छोड़ी थी।
पूर्व जिला पंचायत राज अधिकारी ने दी सफाई
पूर्व जिला पंचायत राज अधिकारी वाचस्पति झा ने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्यों का ब्यौरा रखने के लिए समान एमबी बुक्स की जरूरत थी, इसलिए कार्यालय की आकस्मिक धनराशि से उनकी खरीद की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सचिवों से इसके लिए कोई धनराशि नहीं ली जाएगी। हालांकि, इस पूरे मामले में यह सवाल उठ रहा है कि जब शासनादेश में एमबी बुक की खरीद ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा करने का प्रावधान है, तो जिला कार्यालय स्तर से खरीद कर सचिवों पर दबाव क्यों डाला जा रहा है।
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