वाईबीएन, संवाददाता।
थोड़े से पैसे के लालच में नगर निगम का भ्रष्टतंत्र क्या से क्या कर जाए? कुछ नहीं जा सकता। जानकर ताज्जुब होगा कि मौत हुई एक व्यक्ति की। जबकि नगर निगम ने उसके मरने के तीन-तीन मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिये और लोगों को दे दिये। जिसकी मदद से लोगों ने जमीनें अपने नाम करवा लीं। जब इस प्रकरण की शिकायत हुई तब मझोला पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का केस दर्ज किया है। गलशहीद थाना क्षेत्र के असालतपुरा निवासी मोहम्मद फैजान की तहरीर पर मझोला थाना पुलिस ने गागन वाली मैनाठेर निवासी महबूब हुसैन, उसके बेटे रिहान, भाई मकबूल हुसैन, हदीसा पत्नी मकसूद और उसके तीन बेटों रिवाजन, इरफान और फुरकान के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का केस दर्ज किया है।
यह भी पढ़ें: Bhartiya Valmiki Dharma Samaj ने घर वापसी पर किया हवन पूजन, पिता ने बच्चों का करा दिया था खतना
गागन वाली मैनाठेर निवासी छोटे की मौत के बने तीन-तीन मृत्यु प्रमाण पत्र
दर्ज रिपोर्ट में फैजान ने बताया कि गागन वाली मैनाठेर निवासी छोटे की मौत 15 जनवरी 1999 को हो गई थी। उनके बेटे मकबूल ने 9 अगस्त 1999 को आवेदन करके रजिस्ट्रेशन नंबर 1614 पर 12 अगस्त 1999 को नगर निगम कार्यालय से मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कराया था। आरोप लगाया कि बाद में मकसूद ने एक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र रजिस्ट्रेशन नंबर-684 पर 17 फरवरी 2024 को बनवा लिया, जिसमें मृत्यु की तारीख 2 अप्रैल 1998 में दिखाई गई। उस फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र को सिविल कोर्ट में दाखिल कर दिया। फैजान के अनुसार इसके बाद आसिम ने मकसूद के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया।
यह भी पढ़ें: Moradabad: राशन डीलर ने गरीबों के गेहूं में मिलाया रेत और बोला, लेना हो तो लो, नहीं तो जाओ भाड़ में
कोर्ट ने लिपिक को तलब किया
कोर्ट ने नगर निगम के मृत्यु पंजीकरण लिपिक गय्यूर अहमद को तलब किया तो उन्होंने रजिस्ट्रेशन नंबर-1612 पर जारी मृत्यु प्रमाणपत्र को सही बताया, जिसे मकबूल हुसैन ने बनाया था। जिसके बाद कोर्ट ने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने वाले मकसूद को धोखाधड़ी करने के आरोप में दंडित करने के लिए तलब किया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। फैजान का आरोप है कि अब छोटे के एक और बेटे महबूब हुसैन ने एक और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया, जिसमें 31 दिसंबर 1998 को मौत दिखाया गया है। साथ ही यह भी दर्शाया गया कि यह मृत्यु प्रमाणपत्र रजिस्ट्रेशन नंबर-3368 पर 31 दिसंबर 1998 को जारी किया गया है। आरोप है कि यह फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र महबूब के बेटे रिहान ने बनवाया, जो एलएलबी कर रहा है और कचहरी में काम करता है।
यह भी पढ़ें: आज चला नगर निगम का बुलडोजर, कोहिनूर तिराहे से टीपी नगर तक अतिक्रमण साफ
राजस्व निरीक्षक और हल्का लेखपाल ने वारिसान बदला
इसी फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र को आरोपियों ने राजस्व निरीक्षक और हल्का लेखपाल को देकर हदीसा पत्नी स्व. मकसूद, उसके बेटों रिजवान, इरफान व फुरकान और मकबूल हुसैन ने छोटे की भूमि पर अपना नाम उत्तराधिकार के रूप में 31 जुलाई 2023 को दर्ज करा लिया और खतौनी में भी चढ़वा लिया। फैजान के अनुसार छोटे अपने सगे पौते इरफान पुत्र मकसूद के नाम पर 8 जनवरी 1999 को रजिस्टर्ड वसीयत करके अपनी पूरी भूमि उसे दे दी थी। बाद में इरफान ने 10 अक्तूबर 2000 को कटघर के उड़पुरा निवासी मौहम्मद आसिफ और मोहम्मद शहनवाज को बैनामा कर दिया था। फैजान के अनुसार उसने हदीसा और अन्य आरोपियों के विरासत दर्ज को चुनौती देते हुए तहसीलदार कोर्ट में वाद दायर कर रखा है। इसी वाद में आरोपियों ने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र लगाया जो अपराध है। फैजान ने बताया कि आसिन और शाहनवाज ने 19 नवंबर 2022 को उनके पक्ष में भूमि का पावर ऑफ अटार्नी दे दिया है। मामले में एसएसपी ने एफआईआर के आदेश दिए थे। एसएचओ मझोला मोहित चौधरी ने बताया कि तहरीर पर सात नामजद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। विवेचना में जो भी तथ्य सामने आएगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।