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Moradabad: जिला नियामक शुल्क समिति की बैठक पर अभिभावकों की निगाहें

जिला नियामक शुल्क समिति की बैठक अभी तक नहीं हो सकी है। जबकि आज से  नया सत्र भी शुरू हो गया है। हर वर्ष नया सत्र शुरू होने से पहले जिला नियामक शुल्क समिति की बैठक हो जाती थी।

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Avik Kumar
जिला नियामक शुल्क समिति की बैठक पर अभिभावकों की निगाहे  टिकी हुई हैं,क्योंकि अभी तक बैठक नहीं हो सकी है। जबकि आज से  नया सत्र भी शुरू हो गया है।

जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय Photograph: (वाईबीएन संवाददाता )

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।


जिला नियामक शुल्क समिति की बैठक अभी तक नहीं हो सकी है। जबकि आज से  नया सत्र भी शुरू हो गया है। हर वर्ष नया सत्र शुरू होने से  पहले जिला नियामक शुल्क समिति की बैठक हो जाती थी। बैठक में अभिभावक स्कूल द्वारा किताबों के बदलाव और फीस वृद्धि को लेकर अपनी समस्याओं को रखते थे। मगर अभी तक बैठक नहीं हो सकी है और नया सत्र भी शुरू हो चुका है। ऐसे में अभिभावक संघ के पदाधिकारियो का कहना है कि स्कूल द्वारा किताबों में बदलाव किया गया है और फीस में वृद्धि कर दी गई है। अब बैठक होने का कोई फायदा नहीं है। बैठक होती भी है तो अभिभावकों ने नया कोर्स ले लिया है और फीस भी जमा कर दी है। यही वजह है कि बाद में अधिकारी भी स्कूल संचालकों की मनमानी पर रोक नहीं लगा पाएंगे।

मनमानियों पर रोक लगा पाने में नाकाम

जनपद में 65 स्कूल है जिनमें 95 हजार विद्यार्थी हैं। इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगने के लिए जिला  नियामक शुल्क समिति गठित है, इस समिति के अध्यक्ष डीएम और सचिव डीआईओएस होते हैं, जो स्कूलों में सुनवाई नहीं होने पर समिति स्कूलों से जुड़ी शिकायत हो की सुनवाई करती है। यदि स्कूल 15 दिन तक शिकायत को संज्ञान में नहीं लेते हैं, तो शिकायत समिति को एक माह में जांच कर इसकी रिपोर्ट देनी होती है। अभी आपको क्या कहना है कि फिलहाल बैठक न होने से स्कूल द्वारा मनमानी की जा रही है।

मुरादाबाद पेरेंट्स का ऑल स्कूल के अध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि अभी तक जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक नहीं हो सकी है, जबकि सत्र शुरू होने से पहले बैठक हो जानी चाहिए थी। नियामक शुल्क समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी और डीआईओएस सचिव होते हैं। इसके अलावा समिति में पीडब्ल्यूडी अधिकारी, एक सीए और अभिभावक भी शामिल होते हैं। इस बार अभी तक बैठक नहीं हो सकी है और नया सत्र भी आज से शुरू हो गया है। अब ऐसे में विभागीय अधिकारियों द्वारा स्कूल संचालकों के मनमानी पर कैसे अंकुश लगाया जा सकेगा।

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