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ई कचरा और ईंट भट्टों से निकलने वाले धुएं से फैल रही हैं गंभीर बीमारी, पीसीबी है मौन

2024 में एक रिपोर्ट डीएम ने शासन को भेजी थी जिसमें NGT ने जनपद के 72 ईंट-भट्ठों को बंद करने के आदेश दिए थे। जिलाधिकारी की जांच में 14 भट्ठे संचालित पाए। जिसके बाद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस दिया था।

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Anupam Singh
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ूमतज

जलती भटि्ठयां और निकलता धूंआ नहीं दिख रहा पीसीबी को।

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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जनपद के देहात क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों पर प्रदूषण विभाग नरम रुख अपनाए हुए है। देहात क्षेत्रों में कई भट्ठे ऐसे हैं जो घनी आबादी के बीच हैं और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मोटा सुविधा शुल्क लेकर संचालित कराया जा रहा है।

शहर में मौजूद ई कचरा भट्ठियों पर कब होगी कार्रवाई

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कागजों में बढ़िया काम करने में माहिर है जिसके चलते ये विभाग एक बार फिर जांच के घेरे में है। पंडित नंगला,रामगंगा के तटवर्ती क्षेत्र और भोजपुर में ई कचरा भट्ठियों को देखकर भी नजरअंदाज करने वाले पीसीबी के अधिकारी अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। ई-कचरा भट्ठियों से निकलने वाला धुंआ और वेस्ट पदार्थ लोगों की सांसों में जहर घोल रहा है, क्योंकि प्रदूषण पीसीबी द्वारा इन ई-कचरा भट्ठियों पर कागजों में तो कार्रवाई कर दी जाती है लेकिन धरातल पर मोटी रकम वसूली जाती है और इन भट्ठियों को संचालित कराया जाता है।

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िकीर

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फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल से गांगन नदी का जल हुआ दूषित

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एक समय वो था जब मुरादाबाद के लोग गांगन नदी से पानी पिया करते थे लेकिन आज उस पानी को देखते ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस पानी में कितने केमिकल और जहरीली पदार्थ मिले हैं,फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल और जहरीली पदार्थ गांगन नदी के पानी में मिलकर उसको दूषित कर रहे हैं,प्रदूषण विभाग इन फैक्ट्रियों पर भी कार्रवाई करता नजर नहीं आ रहा है।

मुरादाबाद जनपद में संचालित हैं कई अवैध भट्ठे ओर फर्में

एनजीटी ने मुरादाबाद में अवैध रूप से संचालित 73 ईंट भट्टो को बंद करने के आदेश दिए थे मगर इन ईंट भट्टो को कागजों में तो बंद कर दिया लेकिन धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही हाल रेड जोन में आने वाली फर्मों का भी है। खबर है कि प्रदूषण विभाग के अधिकारी इन भट्टों और फर्मों को चलाने के एवज में मोटा लाभ अर्जित कर रहे हैं।

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किहीर

काली कमाई का अड्डा बना प्रदूषण विभाग का कार्यालय

विभाग के एक कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि शासन से जारी अभिलेखों में आबादी से भट्ठे की दूरी 950 मीटर निर्धारित की गई है लेकिन यहां के अधिकारी 300 से 500 मीटर की दूरी पर ही ईंट भट्टा संचालित करवा देते हैं और उसके एवज में अच्छा खासा सुविधा शुल्क लिया जाता है।ओर यही हाल ई कचरा भट्ठियों और फर्मों का है। इन सभी के मालिकों से अधिकारी बहुत मोटी कमाई कर हैं इन सबकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए उसी में इनके चेहरे से ईमानदारी का नकाब हटेगा।

कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त तो नहीं हैं रीजनल अधिकारी आशुतोष चौहान

2024 की एक रिपोर्ट में जिलाधिकारी द्वारा शासन को भेजी गई थी जिसमें NGT ने जनपद के 72  ईंट-भट्ठों को बंद करने के आदेश दिए थे। जिलाधिकारी की जांच में 14 भट्ठे संचालित पाए। जिसके बाद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस दिया था। जवाब नहीं मिलने पर डीएम ने शासन को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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