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Moradabad: श्रीमद्भागवत साधारण ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह महापुराण है जो जीवन जीने का सच्चा मार्ग दिखाता है; आचार्य जगदीश प्रसाद कोठारी

Moradabad: मुरादाबाद में दिल्ली रोड स्थित राही होटल में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन शुक्रवार को बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ।

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Narendra Singh
वाईबीएन

आचार्यश्री डॉ. जगदीश प्रसाद कोठारी Photograph: (moradabad)

मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता  मुरादाबाद में दिल्ली रोड स्थित राही होटल में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन शुक्रवार को बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। दोपहर 3 बजे आरंभ हुई कथा में कथा व्यास आचार्यश्री डॉ. जगदीश प्रसाद कोठारी ने जीवन, साधना और आचरण पर गहन विचार प्रस्तुत किए।

मानव को चाहिए कि वह अपने जीवन के हर क्षण को प्रभु स्मरण और भक्ति में लगाए

आचार्यश्री ने कहा कि गुरु तत्व कभी नया नहीं होता, उसी में परमात्मा का साक्षात्कार होता है। उन्होंने बताया कि समय ही सबसे बड़ा सत्य है। जगत को काल खाता है, और जो समय निकल जाता है वह कभी वापस नहीं आता। इसलिए मानव को चाहिए कि वह अपने जीवन के हर क्षण को प्रभु स्मरण और भक्ति में लगाए।

उन्होंने कहा कि भगवान का नाम जपना मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है। प्रभु ने जो जीभ दी है, उसका सर्वोत्तम उपयोग हरि-नाम के उच्चारण में होना चाहिए। मानव जीवन को आचार्य ने सर्वोत्तम बताया क्योंकि इसमें ही रस का ज्ञान और साधना का अवसर मिलता है।

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आचार्यश्री ने कहा कि मनुष्य का आचरण ही उसकी साधना की दिशा तय करता है। यदि आचरण उत्तम है, तो मनुष्य साधना के मार्ग पर आसानी से आगे बढ़ सकता है। उन्होंने व्यवहार के दो मार्ग बताए—प्रगति मार्ग और निर्वाण मार्ग। साथ ही यह भी कहा कि भक्त का सबसे बड़ा गुण उसकी विनम्रता होती है।

अपने प्रवचन में आचार्यश्री ने यह भी समझाया कि मनुष्य प्रायः अपने लाभ की इच्छा करता है और दूसरों का अहित कर बैठता है, जबकि सच्चे भक्त का जीवन निःस्वार्थ और सेवाभाव से परिपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कोई साधारण ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक महापुराण है जो जीवन जीने का सच्चा मार्ग दिखाता है।

कथा में शहर विधायक रितेश गुप्ता भी अपनी धर्मपत्नी के साथ पहुंचे और उन्होंने श्रद्धापूर्वक कथा श्रवण किया। कथा श्रवण के दौरान वातावरण हरि-नाम के उच्चारण से गुंजायमान रहा और उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो गए। आयोजकों के अनुसार सात दिनों तक चलने वाली इस कथा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

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