मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
श्री गीता ज्ञान मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में गोवर्धन लीला का प्रसंग कथा वाचक पंडित गिरिजाभूषण मिश्र ने सुनाया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भगवान ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर धारण किया। उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी गोवर्धन को भी भगवान ही सातों दिन धारण करते हैं। साथ ही गोवर्धन की सुंदर झांकी सजायी गई और छप्पन भोग भी लगाया गया।
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मनुष्य को भी काम व क्रोध का करना होगा वध
कथा वाचक मिश्र ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को सर्वप्रथम अविद्यारूपी पूतना के वध की लीला करनी पड़ी। इसी प्रकार मनुष्य को भी काम, क्रोध, लोभ, मोह ,मद, मत्सररूपी पूतना का वध करना होगा,अविद्या का नाश करना होगा, तभी अन्य भक्ति कार्य हो सकते हैं। पूतना कंस के द्वारा भेजी गई थी, जो मां बनकर आई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने अविद्या का नाश करने के लिए स्तनपान ही नहीं प्राण पान कर लिया।
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यह लोग रहे उपस्थित
माखनलीला का वर्णन करते कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को माखन अतिप्रिय है। इसलिये कि वह दूध से निर्मित दही का मन्थन करने से प्राप्त होता है , उसी प्रकार सत्संगरूपी दूध से निर्मित शुद्ध मन का मन्थन करने से निर्मल मनरूपी माखन को भगवान स्वीकार करते हैं। महेश चंद्र मिश्र व कृष्ण मोहन मिश्र ने संपन्न कराया । मुख्य यजमान आदेश अग्रवाल,पिंकी अग्रवाल , राकेश अग्रवाल, सीनू अग्रवाल रहे। इस दौरान बिजय, अर्पित, शुभी, अमन, प्राची , ऋषभ, चारु, दीपांशु ने सहयोग किया।
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