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जीएसटी और सचलदलों की मनमानी से बर्तन कारोबारी परेशान

बर्तन कारोबारियों की पीड़ा है कि बर्तनों की खरीद-बिक्री पर लगने वाली जीएसटी की असमानता ने कारोबार को धड़ाम कर दिया है। पूजा के आइटमों पर भी जीएसटी लगा दिया है। 18 प्रतिशत तक जीएसटी मुख्य समस्या है। बर्तन कारोबारी सचल दलों की मनमानी से परेशान हैं।

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Anupam Singh
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वाईबीएन, संवाददाता।
मुरादाबाद जिस तरह पीतल के उत्पादों को विदेश में एक्सपोर्ट करता है, उसी तरह यहां के बर्तन बाजार की भी चमक और खनक दूर तक है। बर्तन कारोबारियों की पीड़ा है कि बर्तनों की खरीद-बिक्री पर लगने वाली जीएसटी की असमानता ने कारोबार को धड़ाम कर दिया है। 

पूजा के आइटमों पर भी जीएसटी

पूजा के आइटमों पर भी जीएसटी लगा दिया है। 18 प्रतिशत तक जीएसटी मुख्य समस्या है। बर्तन कारोबारी सचल दलों की मनमानी से परेशान हैं। जाम से कारोबार प्रभावित होता है। बाजार में दिन भर जाम से जूझना मजबूरी बन चुका है। उनकी मांग है कि इन समस्याओं को दूर किया जाए। मुरादाबाद में यूं तो पीतल का कारोबार ही मुख्य है। इसके साथ ही पीतल नगरी में बर्तनों का भी बड़ा काम है। जहां घर-घर में पीतल का काम होता है। वहीं बर्तन बाजार में पीतल से लेकर स्टील की वैरायटी के बर्तन हैं। कांसे पीतल के डिनर सेट हों या आकर्षक कटलरी, सब इसका हिस्सा है। यहां के बर्तनों की चमक मुरादाबाद समेत पूरे यूपी और विदेश तक लोगों पर प्रभाव छोड़ती है।

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मरोहा गेट और मंडी चौक में हैं बर्तन की अधिक दुकानें
शहर में अमरोहा गेट और मंडी चौक में बर्तनों की अधिक दुकानें हैं। इसीलिए इस क्षेत्र का नाम बर्तन बाजार ही पड़ गया है। यहां के व्यापारी भी जीएसटी की विसंगतियों से लेकर मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं। बाजार में पार्किंग के अलावा शौचालय नहीं होना भी कम पीड़ादायक नहीं है। करोड़ों का राजस्व देने के बाद भी सुविधा के नाम पर शून्य होना, इनकी चिंता का सबब बना हुआ है।

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बताते हैं कि वे अपनी परेशानियों को हल कराने के लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर प्रदेश और राज्य सरकार तक दरवाजा खटखटा चुके हैं। सुनवाई कहीं नहीं हुई। व्यापारियों की पेंशन का मामला भी लंबित है। सुरक्षा के नाम पर भी कहीं सुनवाई नहीं है।

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