वाईबीएन, संवाददाता।
एसआईबी की टीम ने मुरादाबाद में संभल रोड पर फरीदपुर वीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित नोमान मंसूरी की फैक्ट्री रॉ मैटीरियल बैंक और मुरादाबाद मेटल्स कंपनी प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापा मारा। इस छापेमारी में टीम ने फर्म के दस्तावेजों को खंगाला और बिक्री और खरीद के रिकॉर्ड की जांच की तो जीएसटी की बड़ी चोरी पकड़ में आई है। बोगस बिलों के जरिये बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का मामला सामने आया है।फैक्ट्री के अलावा एसआईबी की टीम इंद्रा चौक स्थित फर्म स्वामी नोमान मंसूरी के निवास पर भी पहुंची।मिली जानकारी के मुताबिक नोमान मंसूरी ने कई फर्म खोली थीं और उनकी आड़ लेकर जीएसटी करता था।
यह भी पढ़ें: कोरोना कॉल में ली गई फीस को करना होगा वापस: अनुज गुप्ता
एसआईबी जोन के एडिशनल कमिश्नर आर ए सेठ के नेतृत्व में 7 अधिकारियों की टीम ने पुलिस बल के साथ दो स्थानों पर प्रपत्रों की जांच पड़ताल की। जिसमें डीसी एसआईबी बामदेव राम त्रिपाठी और असिस्टेंट कमिश्नर एसआईबी रण विजय त्रिपाठी शामिल रहे। नोमान मंसूरी, मंसूरी समाज के जमीयत-अल-मंसूर के पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी भी बताया जाता हैं। नोमान मंसूरी समय समय पर जीएसटी अधिकारियों, पुलिस और नेताओं के सम्मान में स्वागत कार्यक्रम अपने यहां कराता रहता है।
राज्य कर मुरादाबाद जोन के अपर आयुक्त ग्रेड-1 आर. ए.सेठ ने कहा बताया कि अभी तक जांच में 1 करोड़ 73 लाख की जीएसटी चोरी सामने आई है। फर्म स्वामी नोमान मंसूरी द्वारा टैक्स चोरी के 30 लाख रूपये जमा करा दिए हैं। आगे की जांच जारी है। दो स्थानों पर 7 अधिकारियों ने पुलिस फोर्स के साथ छापेमार कार्रवाई की है,अभी आगे भी इस तरह के बोगस बिलों का धंधा करने वाले टैक्स चोरों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
यह भी पढ़ें: जीएसटी की बड़ी चोरी में फंसा हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट सोसाइटी का अध्यक्ष, विभाग कर सकता है बड़ी कार्रवाई
जीएसटी के बोगस बिलों के धंधे में लिप्त है समाजसेवी नोमान मंसूरी
मुरादाबाद से पीतल हैंडी क्राफ्ट के उत्पादों का निर्यात बड़े पैमाने पर विदेशों में होता है।जिससे विदेश करेंसी आती है इसलिए निर्यात होने वाले माल पर सरकार निर्यातकों को टैक्स की छूट देती है और यहीं से फर्जी बिलों के आधार पर टैक्स चोरी का खेल शुरू हो जाता है। सूत्रों के मुताबिक इस धंधे को मुरादाबादी भाषा में बिलों का काम कहा जाता है निर्यातक को सरकार से 18 प्रतिशत जीएसटी रिफंड लेने के लिए पक्के बिल चाहिए होते हैं इसलिए फर्जी कागजों के आधार पर बोगस कम्पनियां तैयार कर जीएसटी के बिल बेचने वालों के कई गैंग मुरादाबाद में सक्रिय हैं जो 5 प्रतिशत से लेकर 9 प्रतिशत के रेट पर करोड़ों रूपये का बोगस बिल जनरेट कर आगे बेच देते हैं और सरकार को कोई टैक्स जमा नहीं करते हैं।जब कंपनी पर करोड़ों रूपये का टैक्स बकाया हो जाता है और कर विभाग की नजर पड़ती है तब संचालक इस फर्म को बंद कर गायब हो जाता है और फर्जी प्रपत्रों से किसी अन्य पते पर दूसरी फर्म रजिस्टर्ड कर लेते हैं और फिर से वही बोगस बिलों का धंधा शुरू हो जाता है।
सूत्रों के मुताबिक मुरादाबाद में ऐसे 4-5 बड़े सरगना हैं जिनकी टीम में सैंकड़ों बेरोजगार युवक बोगस बिलों की सेल परचेज का धंधा कर रहे हैं।यह गैंग बेरोजगार और गरीब युवकों को पैसों का लालच देकर उनके पहचान पत्रों के आधार पर फर्जी पते से फर्म रजिस्टर्ड करा लेता है और फिर उस फर्म के नाम से बोगस बिलों का धंधा करता है।करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी के बाद उस युवक को अंडरग्राउंड करा दिया जाता है जिसके नाम से फर्म खोली जाती है ताकि कोई जांच एजेंसी उस तक न पहुंच सके और टैक्स चोरी का धंधा यूं ही चलता रहता है।
यह भी पढ़ें:हिंदू लड़कियों के नंबर दो,नहीं तो मेरे साथ संबंध बनाओ,पुलिस से मामले की शिकायत