ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क।
होली रंगों व खुशियों का त्योहार है, ऐसे में ज़रूरी है कि हम सुरक्षित होली मनाएं। होली का आगमन बसंत ऋतु के बाद ही होता है। अतः प्राचीन काल में होली बसंत ऋतु के फूलो व हर्बल पदार्थों से निर्मित रंगों से ही मनाई जाती थी। यह प्राकृतिक रंग हमारे लिए एक औषधि का काम करते हैं। परंतु आजकल इन प्राकृतिक रंगों का स्थान कृतिम रंगों ने ले लिया है।
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कृतिम रसवायनिक रंग पहुंचा सकते है नुकसान
इन कृतिम रसायनिक रंगों से आँखों में संक्रमण (इन्फेक्शन), एलर्जी व कभी कभी अस्थाई अंधापन भी हो जाता है। डॉ आनंद वर्मा, नेत्र रोग विशेषज्ञ व सर्जन, आनंद स्पेक्ट्रम हॉस्पिटल गामा-1, ग्रेटर नोएडा ने बताया होली का त्योहार आंनन्द के साथ मनाएं एवं आखों को कैसे सुरक्षित रखें और रंगों से होने वाली बीमारी के अवगत कराया।
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आंखों में होली के रंगों से होने वाली बीमारियों के कारण--
1- इन कृत्रिम रासायनिक रंगों में भारी धातुओं का मिश्रण जैसे लेड व सिलिका रहता है जो आंखों में कंजंक्टिवाइटिस, कॉर्निया में घाव (अल्सर) व केमिकल बर्न का कारण बनते हैं अतः ऐसे कृतिम रसायनिक रंगों को प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
2- हरे कृत्रिम रंग जिसमे कि कॉपर सल्फेट की मात्रा रहती है वह आपकी आँखों में अस्थायी अंधत्व कर सकता है।
3- रंगों से भरे गुब्बारों का प्रयोग कतई न करे यह आँखो में गहरी चोट (ब्लंट इंजरी) का कारण बन सकता है।
4- कृतिम लाल रंग में माइका होता है जो कि आँख की पुतली (कॉर्निया) में घाव कर सकते हैं।
होली खेलते समय कैसे करें अपना बचाव जाने-----
5- होली खेलते समय चश्मे या धूप के चश्मे का प्रयोग करे।
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बरतें सावधानियां-
1- अगर आप कांटेक्ट लेन्स लगाते हैं तो उन्हें उतार दें क्योंकि रंग उसमें व कॉर्निया के बीच में इकट्ठा हो सकता है व कॉर्निया को ख़राब कर सकता है।
2- महिलाएँ अपने बालों को बाँध कर रखें, बालों को ढकने के लिए टोपी का प्रयोग करें।
3- रंग खेलने से पहेले कोकोनट आयल (गिरी का तेल)या कोल्ड क्रीम चेहरे पर व आँखों के आस पास व पलकों पर लगाए।
4- रंग खेलने के बाद नहाते समय गुनगुने गर्म पानी का प्रयोग करें यह रंग को निकालने में सहायता करेगा।अपने चेहरे व बालों को धोते समय आँखों को कसकर बंद रखें।
5- कोशिश करें कि कृत्रिम व विषैले व बहुत चटक रंगों से होली न खेलें।सबसे अच्छा तो यह है कि प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करें।
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