ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन संवाददाता। यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना चाहती है, ताकि छात्रों को विमानन से जुड़ी कौशलों में प्रशिक्षण दिया जा सके और उन्हें अप्रेंटिसशिप के अवसर प्रदान किए जा सकें। फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट राफेल लड़ाकू विमान बनाती है, जिसका भारत एक खरीदार देश भी है।
स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोलने की योजना
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुण वीर सिंह ने कहा कि डसॉल्ट कौशल विकास और रक्षा मंत्रालयों के साथ मिलकर एक स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोलने की योजना बना रही है। वे हाई स्कूल और पॉलिटेक्निक छात्रों के लिए एरोनॉटिक्स पाठ्यक्रम चलाना चाहते हैं, साथ ही एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाना चाहते हैं जो विमान मरम्मत और रखरखाव पर केंद्रित हो। डसॉल्ट की योजना के अनुसार, कक्षा 10 पास छात्रों के लिए तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाएगा, जिसमें एक वर्ष का व्यावहारिक प्रशिक्षण विमान रखरखाव में होगा।
छह महीने का एक शॉर्ट-टर्म कोर्स
कक्षा 12 पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस या एवियोनिक्स में बीएससी पाठ्यक्रम की सुविधा होगी। इसके अलावा, कक्षा 10 पास छात्रों के लिए विमान रखरखाव में छह महीने का एक शॉर्ट-टर्म कोर्स भी उपलब्ध होगा। अरुणवीर सिंह ने बताया कि कि डसॉल्ट को यह जमीन आगामी जेवर एयरपोर्ट के फेज 2 में 1,365 हेक्टेयर के क्षेत्र में दी जा सकती है। यह क्षेत्र एमआरओ हब (जहाँ विमानों की मरम्मत और रखरखाव होता है) और अन्य विमानन सुविधाओं के लिए आरक्षित है।
एमआरओ योजनाओं का समर्थन करेगा यह सेंटर
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि डसॉल्ट के साथ तीन से चार अन्य प्रमुख विमान निर्माता कंपनियां भी इसी क्षेत्र में अपने एमआरओ यूनिट्स स्थापित करने को लेकर चर्चा कर रही हैं। डसॉल्ट नागरिक और सैन्य दोनों प्रकार के विमानों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सुविधाएं बनाना चाहता है। उनका प्रशिक्षण केंद्र इन्हीं एमआरओ योजनाओं का समर्थन करेगा। उद्योग रिपोर्टों के अनुसार, भारत का एमआरओ बाजार 2021 में 1.7 बिलियन डॉलर का था और 2030 तक इसके 7 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
विशेष एमआरओ नीति लागू
इसी अवधि में भारत में नागरिक विमानों की संख्या 700 से बढ़कर 1,100 से अधिक हो सकती है। इस विकास को समर्थन देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विशेष एमआरओ नीति लागू की है। इसके तहत एमआरओ सुविधाएं स्थापित करने वाली कंपनियों को उनके निवेश के अनुसार 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिल सकती है। वहीं, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण कर रही रियायतधारी कंपनी भी 1,334 हेक्टेयर के हवाईअड्डा परिसर में 40 एकड़ जमीन पर अपना एमआरओ केंद्र बना रही है।