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750 Data Center की आड़ में 3500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा, जानिए क्या है Noida कनेक्शन

प्रदेश के विभिन्न जिलों में Data Center स्थापित करने के नाम पर साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में Sukhwinder Singh Khorur और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद Noida कनेक्शन सामने आया है।

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Sachin Ahlawat
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Photograph: (google)

नोएडा, वाईबीएन संवाददाता। 

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प्रदेश के विभिन्न जिलों में डाटा सेंटर स्थापित करने के नाम पर साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में सुखविंदर सिंह खोरूर और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद नोएडा कनेक्शन सामने आया है। आरोप है कि दोनों ने प्रदेश सरकार के साथ 750 डाटा सेंटर स्थापित करने के लिए एमओयू साइन किए थे, लेकिन यह महज धोखाधड़ी थी। इस मामले में 24 नवंबर को ईडी ने सेक्टर-58 थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। जांच के दौरान दोनों पर वित्तीय धोखाधड़ी और निवेशकों से झूठे वादे करने का आरोप है।

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विदेश भागने के दौरान गिरफ्तार किया सुखविंदर सिंह खोरूर

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नोएडा के सेक्टर-62 स्थित आईथम टावर की आठवीं मंजिल पर धोखाधड़ी करने वाली कंपनी व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विस का ऑफिस था। जांच के बाद इस मामले में व्यूनाउ के साथ-साथ जेबाइट इनफोटेक प्राइवेट लिमिटेड, जेबाइट रेंटल प्लेनेट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य प्रमोटर्स पर भी केस दर्ज किया गया। ईडी के मुताबिक, सुखविंदर सिंह खोरूर को जालंधर यूनिट ने एयरपोर्ट से विदेश भागने के दौरान गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी धोखाधड़ी के आरोपों में शामिल होने के बाद की गई, जिससे निवेशकों से ठगी की साजिश का खुलासा हुआ।

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ईडी ने अक्टूबर 2024 में शुरू की थी जांच 

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फिलहाल गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, सेक्टर-62 में शुरू हुई कंपनी ने डेटा सेंटर स्थापित करने का काम शुरू किया था और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ 750 डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए एमओयू साइन किया था, जिसका अनुमानित निवेश 13,500 करोड़ रुपये था। ईडी ने अक्टूबर 2024 में इस मामले की जांच शुरू की थी और नवंबर में केस दर्ज किया। यह धोखाधड़ी के आरोपों की जांच का हिस्सा है, जिसमें कंपनी ने निवेशकों से धोखा दिया।

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दो अकाउंट्स में मिले थे 2,236 करोड़ रुपये 

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जांच में सामने आया कि व्यूनाउ ने 2016 से 2023 तक 533 करोड़ रुपये का रिवेन्यू कमाया था। इसके अलावा, ईडी को कंपनी से जुड़े दो अकाउंट्स में 2,236 करोड़ रुपये मिले थे। ये रुपये डेटा सेंटर के क्लाउड पार्टिकल्स, यानी सर्वर, को बेचकर विभिन्न लोगों से जुटाए गए थे। एक क्लाउड पार्टिकल की कीमत करीब 41 हजार रुपये रखी गई थी। इस राशि का उपयोग धोखाधड़ी के तहत किए गए लेन-देन के रूप में हुआ था। वहीं कंपनी की क्षमता सिर्फ 2,701 टीबी, क्लाउड पार्टिकल्स या सर्वर की थी, लेकिन जांच में सामने आया कि एक डेटा में 1 लाख 29 हजार से अधिक पार्टिकल और दूसरे डेटा में 5 लाख 42 हजार पार्टिकल बेचे गए थे। इसके बाद यह निष्कर्ष निकला कि कंपनी सेल और लीज बैक मॉडल का इस्तेमाल कर निवेशकों को ठग रही थी।

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फर्जी सेल और लीज बैक मॉडल के जरिए निवेशकों को फंसाया

सुखविंदर सिंह खोरूर ने राज्य सरकार के साथ किए गए एमओयू का हवाला देकर फर्जी सेल और लीज बैक मॉडल के जरिए निवेशकों को फंसाया। उसने डाटा सेंटर की स्टोरेज क्षमता को छोटे हिस्सों में लीज पर देने का वादा किया। जिससे निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये जुटाए गए। हालांकि, इस रकम को डाटा सेंटर में निवेश करने के बजाय सुखविंदर ने विदेश भेज दिया। उसने क्लाउड पार्टिकल तकनीक के नाम पर भी निवेशकों से पैसे जुटाए और कागजों में कंपनी की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिससे धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ।

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