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ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन नेटवर्क
सुपरटेक इको विलेज-2 के निवासियों ने आईआरपी हितेश गोयल के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। रविवार, 23 फरवरी को हर टावर से सैंकड़ों की संख्या में शामिल लोगों ने जमकर नारेबाज़ी की और सोसायटी से थाने तक पैदल मार्च करते पहुंचे। निवासियों का आरोप है कि इको विलेज-2 में आईआरपी(दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) मनमाने तरीके से फ़ैसले ले रहा है और किसी भी निवासी को प्रतिनिधि नहीं बनाया गया है।
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भ्रष्टाचार के आरोप लगाए
निवासियों का कहना है कि तीन साल में मोटी तनख्वाह हमारे पैसों से आईआरपी और उसकी टीम ले रही है, लेकिन निवासियों के लिए कोई काम नहीं कर रही है। थाने में जो शिकायत निवासियों ने दी है, उसमें उन्होंने आईआरपी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और उसकी जांच की मांग की है।
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आईआरपी ने कोई प्रयास नहीं किया
नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा है कि इको विलेज-2 सोसायटी का सबसे बुरा हाल है, लेकिन आईआरपी को कोई फ़िक्र नहीं है। तीन साल में एक भी टावर को आईआरपी ने पूरा नहीं किया और ना ही बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने की कोशिश की। हम पुलिस के साथ कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाएंगे। इको विलेज-2 के घर ख़रीदार और रजिस्ट्री आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे मिहिर गौतम ने कहा है कि आईआरपी को घर ख़रीदारों की अगर चिंता होती तो अभी तक तमाम फ़्लैटों की रजिस्ट्री हो गई होती। लेकिन तीन साल में एक फ़्लैट की रजिस्ट्री के लिए आईआरपी ने कोई प्रयास नहीं किया।
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मनमानी बर्दाश्त करना मुश्किल
इको विलेज-2 के घर खरीदार राजकुमार सिंह, नीरज श्रीवास्तव, संजीव सक्सेना, सीवी सिंह, परमेश्वर दुबे, मंडन मिश्रा, संतोष, आशीष श्रीवास्तव, रंजन, डीके सिन्हा, संजीव पटेल, डॉ. सुशील कटियार, पंकज सिंह, स्निग्ध सिंह, शैलेश पोद्दार, पुनीत चौहान सहित कई परेशान लोगों का कहना है कि कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। हमारा प्रोजेक्ट फंसा है, लेकिन आईआरपी को सिर्फ़ अपनी मोटी तनख्वाह से मतलब है। वहीं घर ख़रीदार महेश पालीवाल, अमित दयाल, शशि रंजन, अमरेंद्र कुमार ठाकुर, शैलेंद्र, आशुतोष, शिव सुथार, दुष्यंत सहित कई घर ख़रीदारों ने कहा कि अब आईआरपी की मनमानी बर्दाश्त करना मुश्किल है।