नोएडा, वाईबीएन संवाददाता। फोर्टिस हॉस्पिटल
में गंभीर
वेजाइनल प्रोलैप्स से पीड़ित 57 साल की महिला की
रोबोटिक सर्जरी की गई है। महिला पिछले करीब 20 सालों से
वेजाइनल प्रोलैप्स से ग्रस्त थीं। उन्हें गर्भाशय हटाने (यूटरल रिमूवल सर्जरी) के बाद यह शिकायत हुई थी। वेजाइनल प्रोलैप्स में योनि का ऊपरी हिस्सा (जिसे
वेजाइनल वॉल्ट कहते हैं) लटकने लगता है और नीचे की ओर गिरकर वैजाइनल कैनाल तक पहुंच जाता है। यह कंडीशन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों, टिश्यूज़ और लिगामेंट्स में कमजोरी की वजह से पैदा होती है।
दो घंटे तक चली सर्जरी
इस जटिल प्रक्रिया को रोबोट-असिस्टेड सर्जरी की मदद से डॉ शैलेन्द्र गोयल, डायरेक्टर, यूरो-गाइनीकोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी ने सफलतापू्र्वक पूरा किया। यह
सर्जरी करीब दो घंटे चली। दो ही दिन बाद मरीज को स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। अस्पताल में भर्ती के समय, मरीज काफी तकलीफ में थी। उनकी प्रोलैप्स्ड (फैली हुई या आगे की ओर निकली हुई) योनि में से रक्त-मिश्रित मवाद जैसा निकल रहा था। उन्हें इस प्रोलैप्स्ड योनि की वजह से पेशाब करने और चलने-फिरने में भी काफी परेशानी हो रही थी।
जांच में मल्टीपल बीमारी का पता चला
मरीज की एमआरआई जांच से स्टेज 4 वैजाइनल वॉल्ट प्रोलैप्स का पता चला और साथ ही
वेजाइना के जरिए मूत्राशय, छोटी आंत व मलाशय (रेक्टम) में हर्निया का भी पता चला। उनकी कंडीशन को देखते हुए, डॉक्टरों की टीम ने रोबोट की मदद से सैक्रो-कोलपोपेक्सी
सर्जरी करने का फैसला किया, इस मिनीमॅली इन्वेसिव वैजाइनल लिफ्ट सर्जरी में एक खास किस्म के मेडिकल नेट (सर्जिकल मैश) की मदद से वैजाइनल वॉल्ट को सैकरम (रीढ़ की हड्डी का निचला सिरा) से जोड़ा जाता है।
पेट में किए गए चार छेद
इस सर्जरी के लिए पेट में चार मामूली आकार के छेद किए गए और मरीज की नाजुक हालत के बावजूद इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। मरीज को अन्य कई परेशानियां भी थीं जिसमें प्रोलैप्स्ड वेजाइनल टिश्यू और छोटी आंत, मूत्राशय, मलाशय के जोड़ों पर अल्सर (घाव) के अलावा सीओपीडी तथा अस्थमा की वजह से भी जटिलताएं बढ़ गई थी।
गर्भाशय हटने के बाद आती है समस्या
डॉ. शैलेन्द्र गोयल ने बताया कि वेजाइनल प्रोलैप्स ऐसी कंडीशन है जो प्रौढ़ एवं बुजुर्ग महिलाओं को, खासतौर से गर्भाशय हटने के बाद प्रभावित करती है। यह आमतौर पर पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से पैदा होने वाली समस्या है। इसका इलाज नहीं होने पर मूत्र और मल-त्याग संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं। अन्य कई जटिलताएं जैसे अल्सर बनना, इंफेक्शन और फिस्टुला बनने जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।